नई दिल्ली, 11 मार्च 2020. वर्ष 1984 में नो स्मोकिंग डे की शुरुआत हुई और तब से यह आकार और दायरे में बढ़ता गया। यह दुनिया भर के समुदायों में हर साल अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने की कोशिश में मनाया जाता है। आज उसी क्रम में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशाम्बी गाजियाबाद में भी एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पी एन अरोड़ा (Dr. PN Arora, Managing Director of Yashoda Super Specialty Hospital) ने जानकारी देते हुए बताया कि बताया कि तंबाकू के हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों (Harmful health effects of tobacco) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर के लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मार्च के दूसरे बुधवार को हर साल धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जाता है।
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यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ फेफड़ा एवं श्वांस विशेषज्ञ डॉ के के पाण्डे(Yashoda Super Specialty Hospital Senior Lung and Breathing Specialist Dr. KK Pandey) ने लोगों को जानकारी देते हुए बताया कि यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि धूम्रपान करने का चयन एक व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है किन्तु जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के पास धूम्रपान करता है तो वो उसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, यहां तक कि पालतू जानवर के लिए भी धूम्रपान उतना ही खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा तरीका है कि आप धूम्रपान निषेध दिवस पर सकते हैं यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं तो इसे छोड़ने का प्रण लें। यह आसान नहीं हो सकता है, लेकिन यह निर्णय स्पष्ट रूप से धूम्रपान छोड़ने के बाद आपके अपने स्वास्थ्य में सुधार करेगा और दूसरों को भी इसके खतरों से बचाएगा ।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ फेफड़ा एवं श्वांस विशेषज्ञ डॉ अर्जुन खन्ना एवं डॉ अंकित सिन्हा(Senior Lung and Breathing Specialists Dr. Arjun Khanna and Dr. Ankit Sinha) ने लोगों को जानकारी देते हुए बताया कि तंबाकू को गैर संचारी रोगों के मुख्य कारक के रूप में जाना जाता है, जो कि मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हृदय रोग (कार्डीओवैस्क्यलर) और कैंसर के उपचार का अधिकतम वित्तीय बोझ धूम्रपान करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार पर पड़ता हैं। जंगलों को तंबाकू की फसल की खेती के लिए नष्ट किया जा रहा हैं। वातावरण में तंबाकू का सेवन बहुत सारे विषैले पदार्थों को पैदा करता है। तंबाकू का विनिर्माण, पैकेजिंग और परिवहन भी पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है।
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उन्होंने बताया कि तंबाकू का सेवन श्वसन तंत्र के कैंसर, फेफड़े, संपूर्ण ऊपरी जठरांत्र संबंधी, यकृत (लीवर), अग्न्याशय, गुर्दा, मूत्राशय, मौखिक कैविटी (गुहा), नाक कैविटी (गुहा), गर्भाशय ग्रीवा, आदि से समस्याओं से जुड़ा होता हैं। धुंआ रहित तंबाकू (तंबाकू,चबाना और सूंघनी/नसवार आदि) मौखिक कैविटी (गुहा) के कैंसर का प्रमुख कारण है।
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