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जानिए क्या है चंडाल आंदोलन और मतुआ आंदोलन

जानिए जीवाश्म क्या हैं?

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Know what is the Chandal movement and the Matua movement

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नमोशूद्र बंगाल की अछूत जाति है, जिनके चंडाल आंदोलन की वजह से बंगाल में 1911 में ही ब्रिटिश हुकूमत ने अस्पृश्यता निषेध कानून पास कर दिया था। जिस वजह से बंगालियों में अस्पृश्यता खत्म हुई।

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कौन थे चंडाल आंदोलन के नेता | Who was the leader of the Chandal movement

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इस चंडाल आंदोलन के नेता थे गुरुचांद ठाकुर। जो हरिचांद ठाकुर के बेटे हैं। ये जाति से नमोशूद्र थे।

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किसानों का आंदोलन था मतुआ आंदोलन | The Matua movement was a peasants' movement

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हरिचांद ठाकुर ने दो सौ साल पहले मतुआ आंदोलन की शुरुआत की, जो बुनियादी तौर पर ब्राह्मणवाद और कर्मककांड के खिलाफ, ज़मींदारों के खिलाफ, नील की खेती के खिलाफ किसानों का आंदोलन था।

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बंगाल में मुसलमान बहुजन गठबंधन की राजनीति इसी मतुआ आंदोलन से शुरू हुई।

हरिचांद ठाकुर ने मतुआ आंदोलन के तहत विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा आंदोलन चलाया। नील विद्रोह में शामिल हुए और जो खेत जोते,जमीन उसीकी आंदोलन भारत में सबसे पहले चलाया, जिसके तहत किसानों की हड़तालें हुई। राजशाही और पाबना में किसान विद्रोह हुए।

मतुआ आंदोलन में सभी दलित जातियों के साथ पिछड़े, आदिवासी और मुसलमान किसान भी शामिल थे, जिससे जोगेंद्र नाथ मण्डल और मुकुंद बिहारी मल्लिक का उत्थान हुआ और महाराष्ट्र से हारने के बाद बाबा साहब अम्बेडकर पूर्वी बंगाल से संविधान सभा के लिए चुने गए।

पलाश विश्वास

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