Advertisment

प्रीमैच्योर शिशु को माँ जितनी जल्दी गले लगाए उतनी जल्दी वह स्वस्थ होगा : डॉ दीपिका रस्तोगी

author-image
hastakshep
17 Nov 2021
प्रीमैच्योर शिशु को माँ जितनी जल्दी गले लगाए उतनी जल्दी वह स्वस्थ होगा : डॉ दीपिका रस्तोगी

Advertisment

विश्व समयपूर्वता दिवस - यह क्या है और क्यों मनाया जाता है?

Advertisment

सामान्य तौर पर शिशु का जन्म कितन हफ्ते के बाद होता है? कितने वीक में डिलीवरी होनी चाहिए?

Advertisment

प्रीमैच्योर बेबी क्या होता है। Premature Baby Meaning in Hindi

Advertisment

गाजियाबाद, 17 नवंबर 2021 : सामान्य तौर पर शिशु का जन्म नौ महीने या 40 हफ्ते के बाद होता है, किंतु कुछ शारीरिक एवं स्वास्थ्य व्यवधानों के कारण शिशु नौ महीने से पहले ही जन्म ले लेते हैं।

Advertisment
प्रीमैच्योर बेबी किसे कहते हैं? (What is a Premature Baby?) | What is World Prematurity Day? विश्व समयपूर्वता दिवस क्या है?

Advertisment

सामान्य प्रसव काल से पहले जन्मे बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण समय से पहले पैदा होना है, इसीलिये संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व स्तर पर शिशु मृत्यु के लिए समय से पहले जन्म और इसकी जटिलताओं जैसे स्वास्थ्य संकटों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 17 नवंबर को, विश्व समयपूर्वता दिवस (वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे - World prematurity day in Hindi) मनाया जाता है।

Advertisment

इस अवसर पर यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशाम्बी में बुधवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

हेल्थ टॉक को सम्बोधित करते हुए यशोदा हॉस्पिटल के वरिष्ठ नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजीत कुमार ने कहा कि आम शिशु की तुलना में समय से पहले जन्मे शिशु थोड़े कमजोर होते हैं। इसलिए ऐसे शिशुओं की अधिक देखभाल करनी पड़ती है। माँ में किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने के कारण शिशु का जन्म समय से पहले हो सकता है, ऐसे में माँ को बच्चे के जन्म से पहले अपनी पूर्ण स्वास्थ्य जांच करा लेनी चाहिए  जिससे महिला को उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, यूरिन ट्रैक संक्रमण, गुर्दे में समस्या या हृदय से जुड़ी बीमारी की समस्या का प्रसव से पहले ही पता चल जाए।

यशोदा हॉस्पिटल की वरिष्ठ नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका रस्तोगी ने बताया कि प्रीमैच्योर बेबी के साथ  बहुत से रिस्क होते हैं, उनकी जल्द ही मृत्यु हो सकती है, उन्हें सांस लेने की दिक्कत हो सकती है, दिमाग में खून जम जाने की समस्या हो सकती है और साथ ही उन्हें लम्बे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ सकता है। 

डॉ दीपिका ने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान के नए अनुसंधानों एवं तकनीकों से हम ऐसे माता पिता को सपोर्ट कर सकते हैं और प्रीमैच्योर शिशु के जीवन को बचाने में भरपूर मदद कर सकते हैं। 

उन्होंने बताया कि हम यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी में 25 हफ्ते में हुए प्रीमैच्योर शिशु की भी जान बचा सके हैं।

World Prematurity Day 2021 theme

वर्ष 2021 की इस दिवस की थीम (उद्देश्य) है "लिटिल सेपरेशन या नो सेपरेशन" जिसका मतलब है कि हम चाहते हैं प्रीमैच्योर बेबी माँ बाप से शुरू से ही दूर न रहे और इसमें माँ का रोल बहुत ही महत्वपूर्ण है जितनी जल्दी हो सके माँ अपने प्रीमैच्योर बेबी को अपने गले से लगाएं, अपनी स्किन से बच्चे को टच करायें, पहला स्तनपान जितनी जल्दी हो पाए।

डॉक्टरों और नर्सों के अलावा माँ अपने बच्चे की केयर में जितना ज्यादा इन्वॉल्व होगी उतनी ही जल्दी बच्चे की रिकवरी होगी। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ प्रो आर के मणि, डायरेक्टर क्लीनिकल सर्विसेज, यशोदा हॉस्पिटल, कौशाम्बी ने की।

इस कार्यक्रम में डॉ वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों डॉ दीपा, डॉ गरिमा त्यागी, डॉ मीनाक्षी शर्मा, डॉ ऋतू मित्तल आर्या, डॉ सोमना गोयल एवं बाल रोग विशषज्ञ डॉ महेंद्र ने विशेष रूप से भाग लिया। 

समय से पहले जन्मे शिशु की घर पर देखभाल

डॉक्टरों ने चर्चा में बताया कि जहां तक हो प्रसव को पूरे 40 हफ्ते में ही कराना चाहिए। समय से पहले जन्मे शिशु की नींद का ध्यान रखना चाहिए, इसलिए शिशु को आराम के लिए नरम एवं शरीर के तापमान वाले हल्के गर्म  बिस्तर पर सुलाना चाहिए। शिशु के शरीर को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए, इसके लिए शिशु के शरीर को कोमल टिश्यू व साफ पानी से साफ करना चाहिए। इसके अलावा चिकित्सक द्वारा बताए गए बेबी तेल या बेबी साबुन का उपयोग करें।

समय से पहले जन्मे को अधिक गर्म या ठंडे स्थान पर नहीं लेटाना चाहिए, इससे शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा शिशु को सामान्य तापमान वाले जगह पर लेटाएं ताकि आराम मिल सके।

https://twitter.com/RBCConvCtreWpg/status/1461019274256867331

Advertisment
सदस्यता लें