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सेहत की दवा

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Guest writer
15 Dec 2021
Winter Superfoods: सर्दी के मौसम में सेहत बनाने के सुपरफूड

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अगर आदमी स्वस्थ हो तो खुशियों का मज़ा बढ़ जाता है क्योंकि अगर हम स्वस्थ हों तो हम बहुत कुछ ऐसा कर सकते हैं जो कोई बीमार व्यक्ति (sick person) नहीं कर सकता। यूं भी अब इलाज इतना महंगा हो गया है कि कई बार किसी बड़ी बीमारी में लोगों के घर भी बिक जाते हैं। एक बार मेरे एक मित्र ने मज़ाक में कहा था कि डॉक्टर का धंधा बहुत अच्छा है, पहले वो इंजेक्शन से खून निकाल लेते हैं और फिर पैसे मांग लेते हैं। मज़ाक छोड़ दें तो भी यह जरूरी है कि हम स्वस्थ रहें और खुशियों का मज़ा, खुश होकर ले सकें।

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एक बीमारी है मोटापा लेकिन... स्लिम होने के लिए क्या करें?

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मोटापा एक बीमारी है (obesity is a disease) और स्लिम होना अच्छा है, लेकिन एक फर्क यह भी समझ लीजिए कि यह जरूरी नहीं है कि जो स्लिम हो, वो सेहतमंद भी हो। स्लिम होना एक बात है और सेहतमंद होना दूसरी बात। स्लिम होने के लिए आपको किसी स्लिमिंग सेंटर (slimming center) पर जाने की जरूरत नहीं है। नियम यह है कि उठते ही पंद्रह बीस मिनट के अंदर कोई फल खाइए। आप जितना जल्दी फल खाएं, उतना ही अच्छा। उसके बाद छक कर नाश्ता कीजिए। परांठा खाइये, पूड़ियां खाइये, हलवा लीजिए। जो भी दिल करे, खाइये और मज़ा लीजिए। बड़ा सीधा-सा तर्क है इसके पीछे। हम लोग लगभग 16 घंटे जागते हैं और सारा दिन भागदौड़ लगी रहती है। नाश्ता करने के बाद भी आपके शरीर के पास 12 से 14 घंटे का समय होता है नाश्ता पचाने के लिए, इसलिए आप जो भी खाएंगे वह पच जाएगा। आपका नाश्ता अगर नौ, साढ़े नौ बजे तक हो जाए तो बहुत ही अच्छा। इसके बाद दोपहर बारह बजे के आसपास कोई मौसमी फल खाइये, और दो बजे के आसपास दोपहर का भोजन।

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क्या भोजन के वक्त फल खा सकते हैं?

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भोजन के वक्त आपको कोई फल नहीं लेना है। भोजन के समय लिया गया फल शरीर में ज़हर का-सा काम करता है, इसलिए भोजन के साथ या भोजन के तुरंत बाद किसी भी हालत में फल नहीं खाना चाहिए। फल भोजन से कम से कम 40 मिनट पहले खाइए। मैंने इसीलिए कहा कि फल 12 बजे के आसपास लें और दोपहर का भोजन 2 बजे के आसपास करें।

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स्वस्थ रहने के लिए भोजन में दाल-सब्जी की मात्रा कितनी हो ?

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एक छोटा-सा बदलाव भोजन में और करें। भोजन में दाल-सब्जी की मात्रा (amount of lentils and vegetables in the diet) दुगनी कर दीजिए और सलाद की मात्रा चार गुनी कर दीजिए। आप जितनी दाल-सब्जी ज्यादा खाएंगे, जितना सलाद ज्यादा लेंगे, उतनी ही चपाती या चावल कम कर दीजिए, यानी आपको डाइटिंग नहीं करनी है, सिर्फ भोजन में दाल-सब्जी और सलाद का अनुपात बढ़ा देना है और चपाती या चावल की मात्रा उसी अनुपात में घटा देनी है। भूखे नहीं रहना है। उपवास के समय भोजन न करना एक अलग बात है।

दाल-सब्जी और सलाद की मात्रा भोजन में बढ़ाने से क्या लाभ होगा?

भोजन में दाल-सब्जी और सलाद की मात्रा बढ़ाने से पोषण भी मिलता है और मोटापा भी नहीं आता। अच्छी सेहत के इस मंत्र का लाभ उठाइये। ये आपका घरेलू स्लिमिंग सेंटर (Your home slimming center) है और बहुत असरदार भी है।

भोजन के साथ पानी पीने का नियम क्या है? भोजन करने पर पानी कब और कैसे पीना चाहिए? क्या खाना खाते समय पानी पीना सेहत के लिए खतरनाक है? खाना खाने से पहले पानी कब पीना चाहिए?

भोजन के साथ या भोजन के तुरंत बाद पानी न पीयें। बहुत गला सूख रहा हो तो एक-दो घूंट ले लें, पर ज्यादा पानी न पीयें। खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे के बाद या खाना खाने के चालीस मिनट पहले जी भर के पानी पीयें। जो खाना आपने खाया, उसका पोषण शरीर को मिले, इसके लिए जरूरी है कि भोजन के साथ पानी न लें। इससे भोजन में शामिल पोषक तत्वों को शरीर में जज्ब होने का समय मिल जाएगा। उसके बाद खुल कर पानी पीयें। पानी पीने का भी एक नियम है, उसे याद रखें। जब भी पानी पीयें, हमेशा बैठ कर पीयें, खड़े रहकर पानी पीने से घुटनों के दर्द की शिकायत हो सकती है।

दूसरी बात, पानी कभी भी गटागट पीयें, हमेशा घूंट-घूंट करके पीयें।

घूंट-घूंट करके पानी पीने से हमारी लार पानी में शामिल हो जाती है और यह पानी हमारे लिए दवाई का काम करता है।

दिन भर में हम मल-मूत्र के रूप में दो-अढ़ाई लीटर पानी शरीर से बाहर निकाल देते हैं। उसकी भरपाई होना जरूरी है इसलिए आपको थोड़ा-थोड़ा करके दिन भर में पानी पीते रहना चाहिए ताकि शाम होने तक आप पानी की कमी पूरी कर सकें। अपनी शाम को खुशनुमा बनाइये और चाय या काफी के साथ कुछ हल्का-फुल्का लीजिए। उसके एक घंटे बाद कोई फल या ड्राई फ्रूट लेना लाभकारी होता है।

याद रखें कि ड्राई फ्रूट देर से पचते हैं इसलिए शाम 5 या 6 बजे के बाद ड्राई फ्रूट न लें।

सेहतमंद बने रहने के लिए क्या खाएं, क्या नहीं? रात का भोजन कब करें?

रात का भोजन, सोने से कम से कम दो घंटे पहले अवश्य कर लें। डिनर जितना हल्का हो उतना ही अच्छा। बेहतर हो कि रात के भोजन में आप सलाद, दाल-सब्जी या सूप आदि की मात्रा इतनी बढ़ा लें कि चपाती और चावल की जरूरत कम से कम हो। सोने से दो-तीन घंटे पहले भोजन करने का लाभ यह है कि आपका भोजन सोने से पहले ही पच जाता है और नींद के समय आपका शरीर अपनी मुरम्मत करने के लिए स्वतंत्र होता है।

ये समझना बहुत जरूरी है कि हमारा शरीर या तो खाना पचाएगा या खुद की मुरम्मत करेगा, और अगर आपने सोने से कुछ ही पहले खाना खाया या गरिष्ठ भोजन लिया तो शरीर का सिस्टम भोजन पचाने में व्यस्त रहेगा और दिन भर की भागदौड़ में शरीर के अंदर जो टूट-फूट हुई है, शरीर को उसकी मुरम्मत का समय नहीं मिलेगा।

सेहतमंद रहने की सबसे बढ़िया दवा

सोने से एक घंटा पहले हल्दी वाला गुनगुना दूध लें। इससे नींद बढ़िया आएगी और त्वचा में चमक बढ़ेगी, खूबसूरती बढ़ेगी। जब त्वचा खूबसूरत होगी तो महिलाओं को भी बाहरी मेकअप की जरूरत कम से कम पड़ेगी क्योंकि वे प्राकृतिक रूप से खूबसूरत लगेंगी।

कैसे तैयार करें हल्दी वाला दूध? हल्दी वाला दूध बनाने का सही तरीका

अब ज़रा इस दूध का तरीका भी समझ लीजिए। दूध को आग पर चढ़ाइये और उसमें एक चम्मच हल्दी डाल दीजिए। फिर दूध को प्रॉपर उबलने दीजिए। दूध उबल जाए तो उसे अपने आप ठंडा होने का मौका दीजिए। जब दूध लगभग गुनगुना हो जाए तो उसे मज़े से पीजिए।

दूध में कच्ची हल्दी मिलाना चाहिए या नहीं?

दूध में कच्ची हल्दी मिलाना या हल्दी का कच्चा रह जाना ठीक नहीं होता। सही तरीका यही है कि दूध में हल्दी डालकर दूध उबाल लें और उसे अपने पसंद के स्तर तक ठंडा होने दें। यह दूध आपके लिए बहुत गुणकारी होगा। भोजन के साथ टीवी देखना, अखबार या मैगज़ीन पढ़ना, या अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया में व्यस्त रहना गलत है। भोजन खूब चबा-चबाकर खाइये। अच्छी तरह चबाने से हमारे मुंह की लार भोजन में मिल जाती है जिससे भोजना का स्वाद भी बढ़ता है और वह ज्यादा पोषक हो जाता है। ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, चाय-काफी और फल आदि खाने के समय का ध्यान रखिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपका जब दिल किया तब कुछ खा लिया। भोजन में विंडो सिस्टम अपनाइये, यानी, एक खास समय पर खिड़की खुली और आपने खाना खाया। यह आपकी सेहत के लिए गुणकारी भी है और सुखकारी भी।

आप अच्छा गुणकारी भोजन करें, व्यायाम करें और खुश रहें, इन तीनों चीजों  का आपके जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सेहतमंद रहने की यह सबसे बढ़िया दवाई है, इसका फायदा लीजिए और जीवन सुखी बनाइये। 

पी. के. खुराना

लेखक एक हैपीनेस गुरू और मोटिवेशनल स्पीकर हैं।

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