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कोरोना वायरस की शुरूआत कहां से हुई? (Where did the corona virus originate?) यह अब भी समय के गर्भ में छुपा हुआ है। जब तक कि यह पूर्णतः स्पष्ट न हो जाय कि बुहान से कोरोना के फैलाने का या फैलने का राजनीतिक सामरिक उद्देश्य क्या था, या मात्र चीन की विश्व विजय करने की नीति का एक मात्र छोटा सा शस्त्र था। खैर जो भी रहा हो जब तक स्पष्ट नहीं हो जाता कुछ भी साफ-साफ कहना मुश्किल होगा। परन्तु स्पष्ट है कि कोरोना से अपार जन-धन की हानि हुई, लाखों जिंदगियां काल कवलित हो गयीं और बड़े-बड़े उद्योग तबाह हो गये। विश्व भयानक मंदी की चपेट में आ गया है.
विश्व की महान शक्तियां सिमट कर रह गयीं और एक वायरस के सामने विवश लाचार हो गयीं। अमेरिका इटली फ्रांस स्पेन जर्मनी भयानक चपेट मे आ गये और खुद को भगवान भरोसे छोड दिया था।
एक तरफ जहां विश्व की मानव सभ्यता सकंट से गुजर रही तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है। ऐसी अवस्था में हमें सर्वप्रमुख जीवन को महत्व देना होगा। जिस तरह से रतन टाटा ने कहा 2020 नफा कमाने या नुकसान बचाने का वर्ष नहीं है, यह सिर्फ और सिर्फ जीवन बचाने का वर्ष है।
मेरी बात जहा तक है इस समय मैं यह झमेले में भी नहीं प़ड़ूंगा कि देश की विकास दर क्या है या सेंसेक्स मार्केट कितना ऊंचा जा रहा है या नीचे की चरफ झांक रहा है, परन्तु एक बात मुख्य रूप से सोचने वाली है कि हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ दैनिक जरूरतें भी आम नागरिकों की पूरी हो सकें, इस अवस्था मे जब बेरोजगारी बढ़ रही है और आम जनता के साथ-साथ लघु एंव कुटीर उद्योग को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहायता की आवश्यकता है।
डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के नाम पर 20 लाख करोड़ रु. का पैकेज देने की घोषणा की गई है और यह प्रत्यक्ष रूप से न देकर सरकार लोन के रूप में प्रदान कर रही है। सरकार का यह कदम वाकई प्रोत्साहन देने वाला है। परन्तु इस दशा में उस शान्तिदेवी को क्या लाभ होगा जो शान्तिदेवी अभी-अभी दिल्ली से भोपाल पहुंची और उन्हें दिल्ली के नाम से ही डर लगता है, जहां उनका पति मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करता था। अब तो इनकी जीविका कोई साधन नहीं रहा। तो इस स्थिति में सरकार बताये कि तमाम शान्तीबाई, रमाबाई के लिये सरकार की क्या योजना है।
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लेखक टीवी पत्रकार हैं।
मनरेगा में हम कितने लोगों के रोजगार सुनिश्चित कर सकते हैं। आज जनता को लम्बे लच्छेदार भाषण की आवश्यकता नहीं है। आज आवश्यकता है कि सरकार हर घर तक पहुंचे और सुनिशिचित करे कि कोई परिवार भूखा न रहे। साथ ही पैनी नजर भारत की अर्थव्यवस्था पर रखनी होगी। कोरोना के बाद विश्व अर्थव्यवस्था का ऊंट किस करवट बैठेगा। और भारतीय बाजार विशेषज्ञ को चाहिये कि चीन से पलायन कर रही कम्पनियों को भारत की तरफ मोड़ने में कामयाब हो सके।
सरकार को कम्पनियों के साथ-साथ स्वदेशी पर ध्यान देना होगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था जल्दी ही पटरी पर लौट सके। यहां सरकार के साथ आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि अपनी सुरक्षा पर स्वयं ध्यान दे। जितना भी कम उम्मीद सरकार से करें वह बेहतर होगा। साथ ही सरकार बैंकिग सेक्टर विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ कृषि पर ध्यान दे। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने हमें 40 साल पहले ही मूल मंत्र दे दिया था जय जवान जय किसान। हमें ध्यान देना होगा देश का किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा।
बृजेश कुमार
लेखक टीवी पत्रकार हैं।