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Why are the nurses posted in the front line the most courageous Corona warrior!
नई दिल्ली, 12 मई 2021 : कोविड-19 (COVID-19) से लड़ने के लिए दवाओं एवं टीके के विकास में जुटे वैज्ञानिकों से लेकर डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी तक सभी इस महामारी के खिलाफ डटकर खड़े हुए हैं। निश्चित तौर पर अग्रिम पंक्ति में तैनात इन सभी लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण है। लेकिन, मरीजों की नियमित देखभाल करने वाली नर्सों की भूमिका इनमें सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होती है। मरीजों की देखभाल के लिए नर्सों को बार-बार उनके पास जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा अधिक होना स्वाभाविक है। यह जानते हुए भी जो नर्सें कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों की देखभाल में दिन-रात जुटी हुई हैं, उन्हें यदि सबसे साहसी कोरोना योद्धा कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने फरवरी के पहले सप्ताह में लोकसभा में कोविड-10 के कारण 174 डॉक्टरों, 116 नर्सों और 199 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत होने की जानकारी दी थी। उन्होंने एक बीमा योजना के तहत प्राप्त राज्यों के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है।
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि ये आंकड़े डॉक्टरों, नर्सों एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की कोविड-19 के कारण होने वाली कुल मौतों की संख्या की एक तस्वीर भर हैं।
Half of the world's total health workers are nurses.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के कुल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में आधी आबादी नर्सों है। हालांकि, दुनियाभर में लगभग 60 लाख नर्सों की तत्काल कमी है। इनमें विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नर्सों की सबसे ज्यादा जरूरत है।
हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) के मौके पर नर्सों की भूमिका को सराहा जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1965 में हुई थी। यह दिन नर्सों द्वारा समाज के लिए किए गए योगदान को याद दिलाता है। इसी दिन वर्ष 1820 में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल पैदा हुई थीं। वह एक नर्स, एक समाज सुधारक और एक सांख्यिकीविद् थीं, जिन्होंने आधुनिक नर्सिंग के प्रमुख स्तंभों की स्थापना की। वर्ष 2021 में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की विषयवस्तु ‘ए वॉयस टू लीड - ए विजन फॉर फ्यूचर हेल्थकेयर’ है।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल 'आधुनिक नर्सिंग' की संस्थापक थी, जिन्होंने क्रीमियाई युद्ध के दौरान घायल ब्रिटिश और संबद्ध सैनिकों के नर्सिंग प्रभारी के रूप में काम किया था। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने अपना ज्यादातर समय घायलों की देखभाल करने में बिताया। वह नर्सों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण स्थापित करने वाली पहली महिला थीं। वह पहली महिला थीं, जिन्हें 1907 में ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया था।
भारत समेत पूरी दुनिया में नर्सें इस महामारी से लड़ने में सबसे आगे हैं। वे रोगियों को उच्च गुणवत्ता एवं सम्मानजनक उपचार और देखभाल प्रदान कर रही हैं।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने नर्सों की जिम्मेदारी को बढ़ा दिया है। कुछ समय पहले दुनिया के अलग-अलग कोने से हमारे सामने ऐसे दृश्य सामने आए हैं, जिन्होंने हमें काफी भावुक भी किया। इन दृश्यों में हमनें देखा कि एक महिला जो गर्भवती है, फिर भी अस्पताल में मरीज की सेवा कर रही है। कोरोना संक्रमित मरीजों का उत्साहवर्द्धन करने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए पीपीई किट में नर्सों को डांस करते हुए तसवीरें भी सामने आयी हैं। इन सभी दृश्यों से हमें पता चलता है कि एक नर्स का काम कितना कठिन है। लेकिन, फिर भी नर्सों ने कभी हार नही मानी। कोविड-19 के प्रकोप के दौरान अस्पतालों में अपनी तैनाती के चलते नर्सों, डॉक्टरों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को परिवार से दूर रहना पड़ता है, और कई बार मानसिक एवं अन्य विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
नर्सों को अस्पतालों और चिकित्सालयों की रीढ़ कहा जाता है, क्योंकि वे अपनी जान जोखिम में डालकर गंभीर परिस्थिति में भी मरीज की सेवा और उनकी देखभाल करती हैं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (आईसीएन) के अनुसार 31 दिसंबर 2020 तक कोरोना संक्रमण के कारण 34 देशों में 1.6 मिलियन से अधिक स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इसके बावजूद नर्सों के द्वारा की जा रही निस्वार्थ सेवा के लिए हमें उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस एक ऐसा ही अवसर है, जो हमें नर्सों की सेवा को सैल्यूट करने के लिए प्रेरित करता है।
(इंडिया साइंस वायर)