क्यों हुई गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत?

क्यों हुई गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत?

Ram Puniyani was a professor in biomedical engineering at the Indian Institute of Technology Bombay and took voluntary retirement in December 2004 to work full time for communal harmony in India. He is involved in human rights activities for the last three decades. He is associated with various secular and democratic initiatives like All India Secular Forum, Center for Study of Society and Secularism and ANHAD

गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत में ध्रुवीकरण की प्रमुख भूमिका

हाल में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश विधानसभा एवं दिल्ली नगर निगम के चुनावों के परिणाम घोषित हुए. जहां गुजरात में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की वहीं दिल्ली में उसे मुंह की खानी पड़ी. हिमाचल प्रदेश में सरकार उसके हाथ से फिसल गई. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा को मिले वोटों का प्रतिशत लगभग बराबर था. परंतु कांग्रेस को 40 सीटों के साथ ठीक-ठाक बहुमत मिला.

भाजपा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश दोनों में हारी है, परंतु गुजरात में उसकी जीत का जबरदस्त ढिंढोरा पीटा जा रहा है. हमेशा की तरह मीडिया का एक हिस्सा भाजपा के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहा है. इस शोर-शराबे का एक उद्देश्य यह भी है कि हिमाचल और दिल्ली में भाजपा की हार से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.

ऐसा लगता है कि गुजरात में कांग्रेस ने पर्याप्त मेहनत नहीं की. इसके अलावा पटेलों ने भाजपा का साथ दिया. इसका एक कारण तो यह था कि गुजरात के निवर्तमान मुख्यमंत्री पटेल थे और चुनाव में जीत की स्थिति में उन्हें ही फिर से मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा भाजपा ने कर दी थी. इसके साथ ही हार्दिक पटेल की भाजपा में वापिसी का भी पार्टी को बहुत लाभ मिला.

भाजपा की पटेल-हिन्दुत्ववादी राजनीति के सामने कांग्रेस का खाम टिक नहीं सका

कांग्रेस का खाम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) भाजपा की पटेल-हिन्दुत्ववादी राजनीति के सामने टिक नहीं सका. भाजपा की सीटें तो बढ़ी हीं कुल मतों में उसकी हिस्सेदारी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. कांग्रेस की सीटें भी कम हुईं और मतों का प्रतिशत भी. कांग्रेस के वोटों का कुछ हिस्सा आप की झोली में चला गया.

ऐसी खबरें हैं कि कुछ अल्पसंख्यक-बहुल इलाकों में ईव्हीएम मशीनें कछुए की चाल से चल रहीं थीं. कई अन्य तरह की अनियमितताओं की शिकायतें भी सामने आईं, परंतु चुनाव आयोग ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया.

यह ध्यान देने योग्य है कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत की संभावना थी वहां एआईएमआईएम के उम्मीदवारों के अतिरिक्त अन्य मुस्लिम भी चुनावों में खड़े हुए.

पटेल कारक ने तो भाजपा की सफलता में भूमिका निभाई ही, पार्टी की जीत का सबसे बड़ा कारण उसकी ध्रुवीकरण की राजनीति था.

आप पार्टी बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के मुद्दे पर चुप्पी साधे रही. भाजपा ने धार्मिक ध्रुवीकरण करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. आजीवन कारावास की सजा पाए अपराधियों का जेल से रिहा किया जाना और उसके बाद मिठाई और फूलों से उनका स्वागत निहायत शर्मनाक था. परंतु इसके जरिए भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह बहुसंख्यकवादी राजनीति करेगी. अपने संदेश को और स्पष्ट रूप से हिन्दुओं तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने चन्द्रसिंह रोलजी को टिकट दिया. वे उस समिति से जुड़े हुए थे जिसने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई की सिफारिश की थी. इस रिहाई को अंतिम स्वीकृति केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने दी थी जिसके मुखिया अमित शाह हैं.

रोलजी ने न केवल हत्यारों और बलात्कारियों की रिहाई को सही ठहराया वरन् उन्होंने दंगा पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कते हुए यह भी कहा कि वे लोग 'संस्कारी ब्राम्हण' हैं और इसलिए  रिहाई के पात्र थे.

उन्होंने कहा ''ये लोग ब्राम्हण हैं और ऐसा माना जाता है कि ब्राम्हणों में अच्छे संस्कार होते हैं. किसी ने रंजिश वश उन्हें सजा दिलवाई होगी...''. ऐसे व्यक्ति को भाजपा ने टिकट दिया और वह भारी बहुमत से जीता भी.

पूरे देश में मुसलमानों के प्रति नफरत का भाव तेजी से बढ़ रहा है और अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और यति नरसिंहानंद के क्लोन देश के सभी हिस्सों में उभर आए हैं और वे लगातार नफरत और हिंसा की बातें कर रहे हैं. अमित शाह ने तो यह तक कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा कांग्रेस द्वारा उसकी वोट बैंक राजनीति के हिस्से के रूप में कराई गई थी. यह बात उन्होंने गुजरात के दंगों के संदर्भ में कही. सच को सिर के बल खड़ा करने का इससे बड़ा उदाहरण मिलना मुश्किल है.

शाह ने कहा, ''उन लोगों को 2002 में सबक सिखा दिया गया और उसके बाद से उन्होंने वह रास्ता छोड़ दिया. उन्होंने 2002 से लेकर 2022 तक हिंसा नहीं की. भाजपा ने साम्प्रदायिक हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करके गुजरात में स्थायी शांति स्थापित कर दी है.'' 'उन लोगों' से उनका आशय किन लोगों से था यह कहने की जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग ने इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की क्योंकि शाह ने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया था!

जमीनी स्थिति क्या है?

जमीनी स्थिति तो यह है कि हिंसा के असली दोषी माया कोडनानी और बाबू बजरंगी जैसे लोग जेलों से रिहा कर दिए गए हैं. नरोदा पाटिया हिंसा का दोषी मनोज कुलकर्णी पेरोल पर बाहर है. उसकी बेटी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया और वह बड़े बहुमत से विजयी हुई.

अमित शाह का कहना है कि दोषियों को सबक सिखा दिया गया है. गुजरात में जमीनी हकीकत यह है कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ता पहले से कहीं अधिक आक्रामक हो गए हैं. मुसलमानों को उनकी गंदी बस्तियों में और कुछ मोहल्लों तक सीमित कर दिया गया है. दोनों समुदायों के बीच जो भौतिक और भावनात्मक दीवार खड़ी कर दी गई है उसे लांघना किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है. मिली-जुली संस्कृति और सामाजिक जीवन इतिहास बन गए हैं. अल्पसंख्यक समुदाय को दूसरे दर्जे के नागरिक का जीवन जीना पड़ रहा है. उनके पास न आर्थिक अवसर हैं और ना सामाजिक गरिमा.

हाल में कुछ मुस्लिम लड़कों को खंभे से बांधकर पीटा गया. यह घटना उंधेला के पास डाभान में गांव के सैकड़ों हिन्दुओं के सामने हुई. अब यह सुस्थापित हो गया है कि मुसलमान नवरात्रि के दौरान आयोजित होने वाले गरबा में भाग नहीं ले सकते. इस गांव में गरबा पंडाल एक मस्जिद के पास लगाया गया था. गरबा प्रारंभ होने के एक घंटे बाद तक सब कुछ ठीक-ठाक था. फिर गरबा में भाग ले रहे कुछ युवकों ने मस्जिद की ओर गुलाल फेंका. गांव के सरपंच की शिकायत पर कुछ मुस्लिम युवकों को पकड़कर थाने ले जाया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. उसके बाद उन्हें पंडाल के पास खंभों से बांधकर बेरहमी से पीटा गया. एक समय हमारे समाज में सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्यौहार मनाया करते थे. अब समय ऐसा आ गया है कि एक धार्मिक समुदाय दूसरे धार्मिक समुदाय के सदस्यों को अपने त्यौहार में कतई भागीदारी करने देना नहीं चाहता. उल्टे वह उनकी प्रताड़ना में आनंद पाता है.

भारत जोड़ो यात्रा क्या कर रही है?

भाजपा की गुजरात में जीत आने वाले समय में राजनीति की दिशा इंगित करती है. जहां भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) धार्मिक समुदायों के बीच रिश्तों को मजबूत करने और घावों पर मरहम लगाने का काम कर रही है वहीं भाजपा और उसके संगी-साथियों की विशाल राजनैतिक और चुनाव मशीनरी विघटनकारी राजनीति को बढ़ावा देने में लगी हुई है. राम मंदिर, गाय, लव जिहाद आदि जैसे बांटने वाले मुद्दों पर हर जगह बात हो यह सुनिश्चित किया जा रहा है. अलग-अलग स्तरों के सैकड़ों व्यक्ति जहर बुझे भाषण दे रहे हैं और वक्तव्य जारी कर रहे हैं.

हिन्दू धर्म कहता है - वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरी दुनिया मेरा परिवार है. वहीं कुछ लोग देश को नफरत और हिंसा की अंधेरी सुरंग में धकेलने पर आमादा हैं. उनको ऐसा लगता है कि लोगों को बांटे बिना वे सफल नहीं हो सकते.

- डॉ राम पुनियानी

(अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)

(लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)

News Point: Rahul Gandhi's master plan | Bharat Jodo Yatra | Raghuram Rajan | Congress | hastakshep

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