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हिटलर पर कुछ जरूरी सवाल
हम हिटलर और नाज़ीवाद पर क्यों बात करना नहीं चाहते? क्या उससे दुनिया को कोई सबक़ मिला? क्या हिटलर ने जर्मनी या मानव सभ्यता का विकास किया? क्या हिटलर के रास्ते पर चलना किसी भी देश के लिए लाभप्रद है? आख़िरकार हिटलर किन परिस्थितियों में पैदा हुआ? हिटलर या नाज़ीवाद से हम नफ़रत क्यों नहीं करते? आज भी अनेक नेताओं और राजनीतिक दलों को हिटलर के विचार अपील क्यों करते हैं? ये कुछ सवाल हैं जिन पर विचार करने की जरुरत है।
हिटलर ने बहुत कम समय शासन किया, लेकिन उसने सारी दुनिया और जर्मनी की सबसे अधिक क्षति की। दुनिया में सबसे बर्बर राज्य की स्थापना की। हिटलर ने जर्मनी में बर्बर तानाशाही स्थापित की और सारी दुनिया पर द्वितीय विश्व युद्ध थोपा। अधिकांश यूरोपीय देशों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया और मानवता के ख़िलाफ़ भयानक अपराध किए।
उसने यूरोप की राजनीतिक संरचनाओं को पलट दिया और विश्व राजनीति को व्यापक रूप में प्रभावित किया। इतने व्यापक अत्याचार करने के बावजूद बौद्धिक जगत और सचेतन समाज आज भी हिटलर के बारे में न्यूनतम जानता है या फिर एकदम नहीं जानता या जानबूझकर बोलना नहीं चाहता।
हमें पता करना चाहिए कि बुद्धिजीवी समुदाय हिटलर के बारे में सचेत क्यों नहीं है?
यूरोप में तो नाजी और हिटलर को लेकर सचेतनता है लेकिन तीसरी दुनिया के देशों, खासकर भारत जैसे विशाल देश में सचेतनता का अभाव है। हाल के वर्षों में चीन और लैटिन अमेरिका में हिटलर के बारे में गंभीर अध्ययन शुरू हुआ है। भारत में तो हिटलर पर मेरी जानकारी में किसी भी विश्वविद्यालय में गंभीरता से शोधकार्य नहीं हुआ। यहां तक कि साहित्यकारों ने भी हिटलर पर ध्यान नहीं दिया। इतिहासकारों और राजनीति विज्ञान के विद्वानों ने भी हिटलर के विस्तृत मूल्यांकन की कोशिश नहीं की। ऐसा क्यों हुआ?
हिटलर को भारत वाले मूल्यांकन के लायक़ क्यों नहीं समझते? उलटे हिटलर के विचारों, गोयबेल्स के विचारों का हमारे शिक्षित समाज पर गहरा असर है। मसलन्, गोयबल्स ने बुद्धिजीवी विरोधी मुहिम चलाई और बुद्धिजीवियों के प्रति नफ़रत पैदा की, भारत में एक बड़ा वर्ग है जो बुद्धिजीवियों से नफ़रत करता है। घृणा अभियान से प्यार करता है। ये दोनों ही चीजें गोयबेल्स ने दीं।
हिटलर के बारे में विचार करते समय यह भी सोचें कि हिटलर ने औरतों को सबसे अधिक प्रभावित क्यों किया? क्यों नस्लवाद यानी जातिवाद और धार्मिक अस्मिता आज भी अपील बनाए हुए है? क्यों दमनकारी शासक अपील करते हैं?
कहने का आशय यह कि हिटलर के बारे में व्यापक स्तर पर फैली अज्ञानता के कारण नायक क्यों अपील करते हैं? हम सिर्फ़ नायक की पूजा में मगन क्यों हैं?
नायक केन्द्रित राजनीति अंततः देश को रसातल में ले जाती है। नायक केन्द्रित राजनीति के विचार का सर्जक भी हिटलर है।
अफसोस की बात है हम इन तीनों से प्रभावित हैं लेकिन इनके बारे में बातें नहीं कर रहे। हम जानने का प्रयत्न करें कि हिटलर को किन विचारों और परिस्थितियों ने जन्म दिया।
प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी
Jagadishwar Chaturvedi जगदीश्वर चतुर्वेदी। लेखक कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर व जवाहर लाल नेहरूविश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।