वरिष्ठ पत्रकार श्याम सिंह रावत का विश्लेषण
Will Mamata Banerjee be forced to resign?
पिछले चुनाव में नंदीग्राम से पराजित ममता बनर्जी फिलहाल विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। उन्होंने नंदीग्राम से हारने के बाद 5 मई को बिना विधायक हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसलिए यदि वे संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक 5 नवंबर तक विधानसभा की सदस्य निर्वाचित नहीं हो पाती हैं तो उनको त्याग-पत्र देना होगा।
इसी के चलते ममता बनर्जी के पुराने निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर से विधायक और ममता सरकार में मंत्री शोभन भट्टाचार्य ने विधानसभा से इस्तीफा देकर अपनी नेता के लिए जगह खाली कर दी है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर माना जा सकता है कि ममता फिर अपनी इसी पुरानी सीट से ही उपचुनाव लड़ेंगी।
राज्य में कोविड संक्रमण की वजह से उत्तर और दक्षिण चौबीस परगना जिले की खरदा तथा गोसावा सीटों के अलावा मुर्शिदाबाद जिले में शमशेरगंज और जंगीपुर सीटों पर उम्मीदवारों की मौत की वजह से मतदान रद्द हुआ था। जबकि कूचबिहार के दिनहाटा और कृष्णानगर के विधायक के सांसद बन जाने के बाद हुए इस्तीफे के कारण वहां भी उपचुनाव होना है।
लेकिन इसी बीच जिस तरह भाजपा ने उत्तराखंड में अपने विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की मौत से खाली हुई सीट सल्ट से तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतारने की बजाय मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलवाया और एक अन्य विधायक पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया, उससे लगता है कि वह बंगाल में ममता बनर्जी को भी इस्तीफा देने पर मजबूर करने की योजना पर काम कर रही है।
आज अगस्त का एक सप्ताह बीत चुका है और 5 नवंबर तक बंगाल विधानसभा उपचुनाव कराना आवश्यक होगा तो क्या सिर्फ एक महीने में ही मतदाता सूची पुनरीक्षण, ईवीएम और VVPAT उपकरणों की जांच, कर्मचारियों की नियुक्ति आदि सभी कुछ पूरा कर लिया जायेगा?
Why are the dates for by-elections not being announced in Bengal?
ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेताओं ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन देकर कहा है कि वह उपचुनाव कराने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर उचित कदम उठाए लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है।
राज्य में कोरोनावायरस संक्रमण फैलने का औसत 2% से भी कम है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यह कहीं ज्यादा था।
तो फिर क्यों नहीं की जा रही है बंगाल में उपचुनाव की तारीख़ों की घोषणा? क्या मोदी सरकार निर्वाचन आयोग के साथ सांठ-गांठ कर ममता बनर्जी को इस्तीफे के लिए मजबूर कर देगी? यदि नहीं तो फिर चुनाव आयोग मामले में जानबूझकर देरी क्यों कर रहा है? क्या ममता बनर्जी के इस्तीफ़े की कोई पटकथा लिखी जा चुकी है? टीएमसी ने क्यों कहा कि बीजेपी की बातों में न आये चुनाव आयोग?
हालांकि बंगाल विधानसभा की इन 7 सीटों पर उपचुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सभी सीटों के चुनाव अधिकारियों को मतदाता सूची के पुनरीक्षण के आदेश दिये हैं। अधिकारियों को ईवीएम और VVPAT भी तैयार रखने को कहा गया है।
राजनीतिक विश्लेषक अशोक वानखेड़े, संवैधानिक मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार एनके. सिंह, बंगाल में पिछले पच्चीस साल से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी तथा वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वभाव को देखते हुए कहा है कि वे अपनी मनमानी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और, वैसे भी उनका संविधान व्यवस्था में जरा-सा भी विश्वास नहीं है।
मोदी की संसदीय परंपराओं में आस्था नहीं होने के कारण ही विपक्ष की कोई बात सुनी नहीं जाती। उनके अड़ियल रवैए के कारण ही संसद की कार्यवाही में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न होता आया है। वे ऐसे या वैसे हर हाल में अपनी मनमानी करने के लिए जाने जाते हैं। तो फिर ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी को इस्तीफा देने पर मजबूर किया जायेगा?
—श्याम सिंह रावत