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Workers beaten, broken hand of a laborer for raising voice against irregularities in quarantine center in Bihar
8 मई को एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) मुख्य सचिव व वरीय अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक (High level review meeting) कर प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों से संबंधित दिशा-निर्देश (Guidelines related to Quarantine Center) दे रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ 8 मई को ही बांका जिला के कई प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों पर वहाँ क्वारंटाइन किये गये लोगों द्वारा वहाँ की समस्याओं को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था।
मुख्यमंत्री आदेश दे रहे थे कि प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों में रह रहे लोगों की संख्या के अनुपात में किचेन की संख्या बढ़ायें, ताकि समय पर लोगों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिलता रहे। लेकिन दूसरी तरफ घटिया भोजन की शिकायत करने पर बांका जिला के शंभूगंज थानान्तर्गत द्वारिका अमृत अशर्फी उच्च विद्यालय स्थित क्वारंटाइन केन्द्र (Quarantine Center located at Dwarka Amrit Ashrafi High School under Shambhuganj in Banka District) पर पुलिस क्वारंटाइन किये गये मजदूरों पर लाठियां बरसा रही थी।
मुख्यमंत्री आदेश दे रहे थे कि क्वारंटाइन केन्द्रों पर आवासितों की संख्या के अनुपात में शौचालय एवं स्नानागार की भी पर्याप्त व्यवस्था हो। वहाँ पानी, बिजली एवं साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था हो। लेकिन दूसरी तरफ बांका जिला के रजौन, बेलहर व बौंसी प्रखंड के कई क्वारंटाइन केन्द्रों पर पीने के पानी व शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था को लेकर वहाँ के लोग अपना विरोध जता रहे थे।
दरअसल प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर बिहार सरकार का काफी ढुलमुल रवैया रहा है।
पहले तो नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों को बिहार की सीमा में प्रवेश पर ही रोक लगा दिया था, लेकिन जब देश के अन्य राज्य अपने मजदूरों को दूसरे राज्यों से लाने लगे और नीतीश कुमार पर भी काफी राजनीतिक दबाव बना, तब इन्होंने बिहारी प्रवासी मजदूरों को वापस बिहार लाने पर सहमति दी।
बिहार सरकार ने घोषणा किया कि वे सभी लोग जो बाहर से आएंगे, उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन केन्द्र में रखा जाएगा। इन्होंने घोषणा तो कर दी, लेकिन ग्रामीण स्तर पर विद्यालयों में बनाये गये क्वारंटाइन केन्द्रों में इन्होंने पर्याप्त व्यवस्था कहीं भी नहीं की।
ग्रामीण स्तर पर बने क्वारंटाइन केन्द्रों में अव्यवस्था चरम पर है। कहीं खाना में कीड़ा मिल रहा है, तो कहीं पीने का पानी नहीं है। कहीं शौचालय का इंतजाम नहीं है, तो कहीं स्नानागार नहीं है। जो मजदूर किसी तरह अपने राज्य पहुंचे हैं, वे यहाँ की बदतर हालत देखकर काफी व्यथित हैं और क्वारंटाइन केन्द्रों पर व्याप्त अनियमितता के खिलाफ आवाज भी उठा रहे हैं।
9 मई को ऑल इंडिया रेडिओ न्यूज के द्वारा किये गये एक ट्वीट के अनुसार अब तक 70 स्पेशल ट्रेनों से 82 हजार 554 लोग दूसरे राज्यों से बिहार वापस आ चुके हैं, जिसमें मजदूर, छात्र और अन्य तबके शामिल हैं।
82 thousand 554 stranded migrant workers, students and other reach #Bihar from diffrerent parts of the country by 70 special trains so far. #IndiaFightsCorona #COVID19Pandemic pic.twitter.com/LfddRAJwhA
— All India Radio News (@airnewsalerts) May 9, 2020
8 मई को बांका जिला के कई प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों में हुआ विरोध-प्रदर्शन
शंभूगंज प्रखंड के द्वारिका अमृत अशर्फी उच्च विद्यालय स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 88 मजदूरों को रखा गया है।
मजदूरों का कहना है कि भोजन में घटिया चावल व दाल के नाम पर सिर्फ पानी ही दिया जा रहा था। भोजन में लगातार कीड़ा भी निकल रहा था। जिस कारण हम लोगों ने इसका विरोध किया। फलस्वरूप पुलिस ने हमलोगों पर लाठी चार्ज कर दिया, जिससे शंभूगंज प्रखंड के पकड़िया गांव के रहने वाले एक मजदूर का हाथ टूट गया और कई मजदूर के शरीर पर लाठियों के निशान पड़ गये।
मजदूर का हाथ टूटने के बाद आनान-फानन में प्रशासन ने उन्हें भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया और मजदूर से कहा कि पूछने पर बताना कि दीवार से गिरने से उसको चोट लगी है, लेकिन मजदूर ने अस्पताल में पुलिस द्वारा पिटाई से हाथ टूटने की बात ही बतायी। इस मसले पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी लगातार अपनी बात बदल रहे हैं।
नोडल जिला उपनिर्वाची पदाधिकारी सुरेश प्रसाद व थाना प्रभारी उमेश प्रसाद ने पुलिस द्वारा पिटाई को ही निराधार बता दिया। वहीं शंभूगंज सीओ परमजीत सिरमौर ने कहा कि उक्त व्यक्ति कर्नाटक से आया है, उसे क्वारंटाइन किया गया है। वह घर भाग रहा था, बारिश की वजह से फिसलने से उसका हाथ टूट गया है।
बौंसी के अद्वैत मिशन हाई स्कूल, शिव धाम स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 128 लोगों को रखा गया है। उन लोगों को 7 मई की रात में खाना ही नहीं दिया गया। पीने का स्वच्छ पानी भी नहीं दिया जा रहा था। जिस कारण इन लोगों ने भी विरोध-प्रदर्शन किया। बाद में उच्च पदाधिकारियों के आने के बाद सभी मांगों को पूरा करने के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।
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रजौन प्रखंड के शिव सुभद्रा पब्लिक स्कूल स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 133 व्यक्ति व उच्च विद्यालय, धौनी में 64 व्यक्तियों को रखा गया है। यहाँ भी खाना-पीना व शौचालय-स्नानागार में व्याप्त अनियमितता को लेकर क्वारंटाइन में रह रहे लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
बेलहर प्रखंड के जिलेबिया मोड़ क्वारंटाइन केन्द्र पर भी विरोध-प्रदर्शन हुआ। यहाँ क्वारंटाइन में रह रहे लोगों का कहना था कि भेड़-बकरी की तरह हम लोगों को रखा जा रहा है। यहाँ फिजिकल डिस्टेन्सिंग का भी पालन अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। सभी को एक ही जगह बैठाकर खाना खिलाया जाता है।
बिहार का पुलिस-प्रशासन क्वारंटाइन केन्द्रों में व्याप्त अनियमितता की सच्चाई को छिपाने की कितनी भी कोशिश क्यों ना करे, लेकिन इन अनियमितताओं का विरोध करने पर मजदूर के टूटे हाथ और शरीर पर लाठियों के निशान की तस्वीर सच बयां कर ही देती है। इस पंक्ति के लेखक ने इस बावत एक ट्वीट कर जब मामले को रखा, तो उसे रिट्वीट कर भाकपा (माले) लिबरेशन के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने लिखा, 'बेहद दुखद व शर्मनाक। शासन के नाम पर अब सिर्फ क्रूरता रह गई है।'
रूपेश कुमार सिंह
बेहद दुखद व शर्मनाक। शासन के नाम पर अब सिर्फ क्रूरता रह गयी है। @NitishKumar @DGPBihar https://t.co/Z8fX1ypd5K
— Dipankar (@Dipankar_cpiml) May 8, 2020