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World Health Day: Better Health, Better World
विश्व स्वास्थ्य दिवस कब मनाया जाता है | World Health Day 2021 : know this years theme and history
नई दिल्ली, 07 अप्रैल 2021 : स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है। यह भी कहा जाता है कि धन संपदा चली गई, तो कुछ नहीं गया, लेकिन स्वास्थ्य चला गया, तो सब कुछ लुट गया। बदलते समय के साथ बढ़ती बीमारियों – महामारियों के बीच शरीर को स्वस्थ रखना एक बड़ी चुनौती है। स्वास्थ्य के प्रति आम जन को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस का आयोजन होता है। इसी दिन वर्ष 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना हुई थी।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021 की थीम | Theme of World Health Day 2021
इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘बिल्डिंग ए फेयरर, हेल्दियर वर्ल्ड’ यानी दुनिया को बेहतर और स्वस्थ बनाना है। आज जब पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से उपजी जिस कोविड-19 वैश्विक महामारी से जूझ रही है, उसमें इससे बेहतर थीम शायद कोई और नहीं हो सकती थी। इस महामारी के कोहराम से विश्वभर में आम जनजीवन अस्त- व्यस्त हो गया है। ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना आपदा ने स्वास्थ्य के मुद्दे को अधिक मुखरता से रेखांकित कर उसकी महत्ता को सामने रखा है। इसके चलते इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसा आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस क्यों मनाया जाता है | Why World Health Day is celebrated
विश्व स्वास्थ्य दिवस का लक्ष्य वैसे तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के प्रसार और उससे जुड़े अभियानों के लिए संसाधन जुटाना है, पर वर्तमान परिस्थितियों में इसका प्रयोजन कहीं अधिक व्यापक हो गया है। कोरोना आपदा ने स्वास्थ्य संबंधी विमर्श को एक नई दिशा दी है। इस आपदा ने दिखाया है कि स्वास्थ्य की रक्षा में केवल संसाधन और समुन्नत ढांचा ही पर्याप्त नहीं होता है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे तमाम देश इस बात के उदाहरण रहे, जहाँ कोरोना ने तबाही का भयावह मंजर दिखाया। ये सभी ऐसे देश हैं, जिनके पास न तो संसाधनों की कमी थी, और न ही उनका स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा लचर था। इसके बावजूद, वहाँ कोरोना संक्रमण बेलगाम होकर बड़े पैमाने पर लोगों को असमय काल का शिकार बना रहा है। इसके उलट, भारत जैसे देशों का भी उदाहरण सामने है, जहाँ बड़ी आबादी और अपेक्षाकृत कमजोर स्वास्थ्य ढांचे के बावजूद कोरोना आपदा (Corona disaster) का बेहतर ढंग से सामना किया गया है। भारत में आबादी के अनुपात में संक्रमितों की संख्या और मृतकों की तादाद इसके प्रमाण हैं।
कोरोना आपदा ने स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता (Health awareness) को एक नया आयाम दिया है। लोग स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को लेकर केवल संस्थागत रूप से ही निर्भर नहीं रह गए हैं, बल्कि निजी स्तर पर भी सतर्कता एवं जागरूकता में वृद्धि हुई है।
कोरोना संकट ने प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी की महत्ता (Importance of immunity) को पुनर्स्थापित किया है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर दो बातें अहम हैं- एक प्रिवेंटिव हेल्थ और दूसरा क्यूरेटिव हेल्थ। प्रिवेंटिव यानी अपने शरीर के इर्दगिर्द ऐसी ढाल बना लेना कि कोई बीमारी ही पास न फटक सके। क्यूरेटिव यानी बीमारी के बाद उचित उपचार की व्यवस्था। चूंकि कोविड जैसी महामारी, जिसका कोई इलाज नहीं है, जिसके उपलब्ध टीकों के लेकर अभी भी नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं, वहां प्रिवेंटिव केयर की महत्ता सामने आयी है। यहाँ तक कि विशेषज्ञों भी यही कह रहे हैं कि कोरोना का बेहतर इलाज यही है कि उसकी चपेट में ही न आया जाए।
महामारियों से बचाव में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की अहम भूमिका सामने आई है, जिसका सरोकार सही खानपान और शारीरिक क्रियाकलाप आधारित दिनचर्या से है। भारत में कोरोना ने वैसा कहर नहीं बरपाया, जैसा कि अन्य कई पश्चिमी और विकसित देशों में देखा गया है, तो उसका एक बड़ा कारण यही है कि भारतीयों की जीवनशैली उनके बचाव में एक अहम हथियार बन गई। इतना ही नहीं भारतीयों ने अपनी पारंपरिक जीवनशैली को कोरोना काल में और समृद्ध किया। मसलन योग के साथ-साथ विटामिन-सी और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के उपभोग को बढ़ाया और स्वयं को कोरोना से काफी हद तक सुरक्षित रखा। इस बीच और सकारात्मक संकेत यह मिले कि इन उपायों से तमाम अन्य बीमारियों से बचाव में भी काफी मदद मिली। इस दौरान कई अन्य बीमारियों के मामलों में अपेक्षाकृत कमी देखी गई। ऐसे में, विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर इन अनुभवों को समायोजित कर उनका लाभ उठाने का संकल्प लिया जाए, ताकि इसका व्यापक वैश्विक लाभ लिया जा सके।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर भारत सरकार भी निरंतर प्रयासरत है। एक फरवरी को पेश हुए आम बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए स्वास्थ्य मद में लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। स्वाभाविक है कि इससे देश में स्वास्थ्य संबंधी ढांचे को सुधारने में आवश्यक मदद मिलेगी। सरकार विभिन्न स्तरों पर पोषण संबंधी कार्यक्रम (Nutritional program) भी चला रही है। केंद्र सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत अभियान’ जैसे महत्वाकांक्षी आह्वान ने भी देश में स्वच्छता क्रांति की आधारशिला रखी है, जिसने देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अलख जगाने का काम किया है। इस बात के प्रमाण उपलब्ध हैं कि गंदगी तमाम बीमारियों की जड़ होती है, ऐसे में स्वच्छता अभियान देशवासियों को बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस बीच सरकार ने स्वच्छ पेयजल की मुहिम को धार दी है। यह अभियान भी तमाम बीमारियों से बचाव में कवच की भूमिका निभाएगा।
इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि देश-दुनिया में स्वास्थ्य संबंधी अथाह चुनौतियां (Imminent health challenges) हैं, जिन पर संस्थागत स्तर पर सक्रियता से काम भी हो रहा है। लेकिन, इसमें सामुदायिक एवं वैयक्तिक प्रयासों की अनदेखी नहीं की जा सकती। ऐसे में, सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का प्रसार कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य की महत्ता और उसके लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जाए तो अधिक लाभ हो सकता है। स्मरण रहे कि जब लोग स्वस्थ होंगे, तो समाज सेहतमंद होगा, और देश-दुनिया खुशहाल होगी। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर यही संकल्प लिया जाना चाहिए कि सब स्वस्थ रहें, ताकि दुनिया अधिक सुन्दर एवं और बेहतर बन सके।
(इंडिया साइंस वायर)
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