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राजीव यादव, महासचिव रिहाई मंच
योगी आदित्यनाथ को सिविल अस्पताल में भरती होना चाहिए, जिससे वे रूबरू हो सकें ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था से
Yogi Adityanath should be admitted to the Civil Hospital, so that he can be exposed to the collapsed health system
लखनऊ, 17 अप्रैल 2021। रिहाई मंच ने कोरोना संक्रमित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Corona infected Chief Minister Yogi Adityanath) को सिविल अस्पताल में भरती होने की सलाह दी है।
मंच ने कहा इससे वे बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत से रूबरू होते हुए आम जनता के दर्द को समझ सकेंगे।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण में तेज़ी ने कोरोना से लड़ने की तैयारियों की पोल खोल दी है। संक्रमितों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल पा रही है। डॉक्टरों को और स्टाफ की कमी के कारण मरीज़ों की उचित देखभाल नहीं हो पा रही है। मरीज आक्सीजन की कमी के चलते मरने को मजबूर हैं।
श्री यादव ने कहा कि ये मौतें नहीं हत्याएं हैं, जो सरकार की नीतियों के चलते हो रही हैं। दूसरी ओर श्मशान घाटों का अंतिम संस्कार के लिए जगह और सामग्री की कमी के कारण बुरा हाल है। लोग अपनों का अंतिम संस्कार खुले में करने और सामग्री जुटाने को विवश हैं।
Bad health services in the state
रिहाई मंच महासचिव ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है और सरकारें लगातार स्वास्थ्य बजट घटाती रही हैं। अस्पतालों के सम्बंध में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों के झूठे दावों की पोल खुलती जा रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ आम जनता का बुरा हाल है तो दूसरी तरफ नेता मंत्री संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेशन में चले जाते हैं और पांच सितारा सुविधाओं के साथ डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल करती है।
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ और नेताओं मंत्रियों को सिविल अस्पताल में इलाज करवाना चाहिए।
राजीव यादव ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अखिलेश यादव की पार्टी के एमएलसी ने पीजीआई में भरती पूर्व काबीना मंत्री स्व. चेतन चौहान की इलाज का विवरण प्रस्तुत करते हुए विधान परिषद को अस्पतालों की खस्ता हालत बयान की थी। लेकिन न तो सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए उचित कदम उठाए और न ही प्रतिपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया।
उन्होंने कहा कि महामारी के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए जिस तरह से लाखों श्रद्धालुओं को हरिद्वार में स्नान के लिए भाजपा सरकार के मूक समर्थन से इकट्ठा होने दिया गया देश को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हरिद्वार में संक्रमण के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने महामारी को अपने राजनीतिक हित के लिए इस्तेमाल करने का खतरनाक चलन शुरू कर दिया है। महामारी का साम्प्रदायिक खेल खेलने के अलावा अपने विरोधियों को साधने और अपने छुपे हुए एजेंडे को आगे बढ़ाने में कोई संकोच नहीं किया। पैंडामिक एक्ट को लागू करने के दो अलग प्रतिमान बन चुके हैं एक सत्ता और उसके पालतुओं के लिए है और दूसरा आम जनता के लिए। कोरोना की पहली लहर को सीएए विरोधी आंदोलनों को कुचलने के लिए किया गया था तो वहीं दूसरी लहर का प्रयोग किसान आंदोलन को खत्म करने के प्रयास के बतौर किया जा सकता है।