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उत्तर प्रदेश में जो लोग यह कयास लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पर कतरे जा रहे हैं। वे अपनी गलतफहमी दूर कर लें। योगी आदित्यनाथ को आरएसएस का आशीर्वाद प्राप्त है। आरएसएस के होते मोदी और अमित शाह भी योगी का बाल बांका करने की स्थिति में नहीं हैं। यह सब उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी है।
योगी-मोदी विवाद का फायदा उठाते हुए आरएसएस ने योगी के चेहरे को चमकाने की रणनीति बनाई है। योगी का दिल्ली दौरा भी इसी रणनीति का हिस्सा है। दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से होने वाली मुलाकात को योगी के कद घटने नहीं बल्कि बढऩे के रूप में लिया जाए। योगी दिल्ली में तलब नहीं किये गये हैं बल्कि पूरे रुतबे के साथ मिल रहे हैं। यह सब खेल आरएसएस का है। उत्तर प्रदेश चुनावी के लिए बड़े नेताओं को खुश करने की रणनीति का बड़ा हिस्सा है।
मोदी से आरएसएस की अदावत का इतिहास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आरएसएस की अदावत नरेंद्र मादी के गुजरात में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही शुरू हो गई थी। मोदी ने गुजरात में भी एकछत्र राज किया, जिसमें आरएसएस को बहुत अपमानित होना पड़ा। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी ने जो चाहा वह किया। चाहे सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर निर्माण का फैसला कराना हो या फिर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना रहो। मोदी ने किसी भी बात का श्रेय आरएसएस को न लेने दिया। इतना ही नहीं मोदी ने आरएसएस के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल के साथ दूसरे हिन्दू संगठनों को कुछ खास तवज्जो नहीं दी। विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री प्रवीण तोगडिय़ा ने मोदी पर उनकी जान के खतरे का आरोप भी लगाया था।
2017 में योगी आदित्यनाथ के माध्यम से ही आरएसएस ने मोदी को नीचा दिखाया था। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारियों पर पानी फेरकर आरएसएस ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था। लोगों के साथ ही विपक्ष इस बात को क्यों भूल रहा है कि जब भाजपा समर्थकों में योगी आदित्यनाथ को नरेंद्र मोदी का विकल्प माना जाने लगा है। ऐसे में भाजपा समर्थक योगी के पर कतरना कैसे बर्दाश्त कर पाएंगे।
वैसे भी कारोना काल में मोदी सरकार के हर मोर्चे पर विफल हो जाने के बाद भाजपा समर्थकों में भी मोदी की अंधभक्ति कम हुई है। ऐसा नहीं कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कुछ कारनामा कर दिखाया हो पर हिन्दू संगठनों के साथ ही उनके समर्थकों में योगी मोदी से ज्यादा पसंद किये जाने लगे हैं। मोदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सऊदी अरब समेत चार देशों से उनका सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त करने के बाद हिन्दुत्व की बात करने वाले लोग मोदी को व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए ज्यादा प्रयासरत मानने लगे हैं।
भाजपा समर्थकों में योगी आदित्यनाथ की मुसलमानों को टारगेट करने की कार्यशैली और मुस्लिम बादशाहों की पहचानों को निशाना बहुत भा रहा है। सपा नेता आजम खान को जेल भेजने और उन पर लगातार कई मुदकमे दर्ज करने को भाजपा समर्थक योगी आदित्यनाथ की बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। वैसे भी नरेंद्र मोदी ने खुद ही भाजपा में 75 साल से ऊपर नेताओं को संन्यास लेने की बात कही है। ऐसे में आरएसएस और भाजपा के पास योगी आदित्यनाथ से बड़ा हिन्दू ब्रांड नेता नहीं है।
अमित शाह को योगी के सामने भाजपा समर्थक कतई पसंद नहीं करते। आरएसएस और भाजपा नेतृत्व दोनों जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ के पर कतरने का मतलब न केवल भाजपा बल्कि उनके समर्थकों में भी बगावत कराना है। मतलब उत्तर प्रदेश गया तो केंद्र गया। ऐसे में एक रणनीति के तहत योगी आदित्यनाथ के चेहरे को चमकाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश का चुनाव आते-आते भाजपा में योगी आदित्यनाथ को भाजपा का हीरो बनाने की तैयारी आरएसएस ने कर ली है। आरएसएस भी जानता है कि उत्तर प्रदेश में चमकने के बाद योगी को केंद्र में चमकाने में सुविधा होगी। वैसे भी विपक्ष के नेता अखिलेश यादव और मायावती के ढुलमुल रवैये का फायदा भाजपा को लगातार मिल रहा है। पंचायत चुनाव में भले ही अखिलेश यादव ने बढ़त बनाई हो पर जगजाहिर है कि अखिलेश यादव विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल साबित हुए हैं। वैसे भी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के 2019 के आम चुनाव में मोदी को पहले ही प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं देकर सपा को कमजोर किया जा चुका है। बसपा प्रमुख मायावती की चुप्पी उनके भाजपा के साथ होने की बात दर्शा रही है।
भले ही कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी लगातार उत्तर प्रदेश में मेहनत कर रही हों पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कोई छाप नहीं छोड़ पा रही है। आम आदमी पार्टी अभी प्रदेश में संघर्ष कर रही है। उधर असदुदीन ओवैसी उत्तर प्रदेश में भी भाजपा के लिए काम करेंगें।
जहां तक योगी के दिल्ली में जाने की बात है तो किसी मुख्यमंत्री के पर कतरने वाली बैठक 05-10 मिनट चलती है। योगी आदित्यनाथ की पीएम आवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक 80 मिनट तक चली है। अमित शाह से भी ऐसे ही बातचीत हुई है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी योगी की बैठक होनी है। क्या इन लोगों ने योगी को तलब किया था ? योगी आदित्यनाथ खुद ही दिल्ली में आकर इन लोगों से मिले हैं। यदि योगी के पर कतरने की तैयारी होती इंतजार कराकर उन्हें दिल्ली की ताकत का एहसास कराया जाता। यह सब खेल आरएसएस का है। मोदी और अमित शाह भले ही देश में कुछ कर लें। सरकार में कुछ भी मनमानी कर लें पर आज भी भाजपा का रिमोट कंट्रोल आरएसएस के हाथों में ही है और उसका आशीर्वाद योगी के साथ।
आरएसएस के इशारे पर ही योगी आदित्यनाथ बताया उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए माहौल बना रहे हैं। सभी बड़े नेताओं के करीबियों को एडजस्ट किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अरविंद शर्मा और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल में लेने की तैयारी है।
उत्तर प्रदेश में चार एमएलसी सीटें खाली हो रही हैं। जितिन प्रसाद को एमएलसी बनाया जा सकता है। अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद की अमित शाह के साथ बैठक भी उत्तर प्रदेश चुनाव का ही एक हिस्सा है। इस वक्त मंत्रिमंडल में सात सीटें खाली हैं, जिन पर अब तक खुद को उपेक्षित बताने वाली अपना दल (एस) और निषाद पार्टी भी दावेदारी जता रही है। इसके अलावा आयोग-निगमों में अल्पसंख्यक आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्षों को मिलाकर करीब 110 पद खाली हैं। बड़े तीन आयोगों के नामों को लेकर चर्चा भी हो चुकी है। योगी आदित्यनाथ चुनाव के लिए हर किसी को खुश करने की कवायद में लग गये हैं।
चरण सिंह राजपूत
लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।