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अपराध की संगीन धाराओं में नामजद मुख्यमंत्री पुलिस का निजी गिरोह की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं
आज़मगढ़ के डीएम एसपी की कॉल डिटेल हो सार्वजनिक, पता चल जाएगा कि उन्होंने संघ-भाजपा के किन नेताओं के कहने पर किया महिलाओं पर हमला
लखनऊ, 05 फरवरी 2020. आज़मगढ़ के बिलरियागंज में सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ आंदोलनरत महिलाओं पर पुलिस द्वारा रात के अंधेरे में रबर की गोलियों और आंसू गैस से हमले और जौहर पार्क में पानी भर देने को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने आपराधिक और कायराना हरक़त करार दिया है।
उन्होंने इस मामले में डीएम और एसपी को तत्काल निलंबित कर पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
श्री आलम ने कहा कि योगी की नज़र में आज़मगढ़ के मुसलमान हमेशा से खटकते रहे हैं। उन्होंने ख़ुद अपने चुनावी भाषणों में आज़मगढ़ में कहा है कि इस शहर की ऊंची-ऊंची मीनारें उन्हें खटकती हैं जिन्हें वो बाबरी मस्जिद के ढांचे की तरह तोड़ देना चाहते हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इसी तरह आज़मगढ़ को बदनाम करने के लिए अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ ने उसे आतंक की नर्सरी कहा था। उन्होंने कहा कि योगी जब से मुख्यमंत्री बने हैं वो आज़मगढ़ के मुसलमानों को किसी न किसी बहाने प्रताड़ित करने की कोशिश में लगे हैं जिसमें उनका सहयोग आज़मगढ़ के सांसद अखिलेश यादव भी चुप्पी साध कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि दर्जन भर से ज़्यादा संगीन धाराओं में नामजद मुख्यमंत्री पुलिस प्रशासन को अपने निजी गुंडा गिरोह की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रात को 4 बजे महिलाओं पर रबर की गोलियों और आंसू गैस से हमला किसी लोकतांत्रिक सरकार में नहीं हो सकता।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ज़िले के डीएम और एसपी ने संविधान सम्मत भूमिका निभाने के बजाए मुख्यमंत्री के निजी गुंडों की तरह काम किया। उन्होंने कहा कि अगर डीएम और एसपी के मोबाइल कॉल डिटेल की जांच हो जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि उन्होंने संघ और भाजपा के किन नेताओं के कहने पर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया है। उन्होंने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए डीएम और एसपी के निलंबन की मांग की है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज़मगढ़ के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पूरे मामले में आपराधिक चुप्पी साबित करती है कि वो भी योगी आदित्यनाथ के इस आपराधिक कृत्य के सहभागी हैं।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से ही विपक्ष की भूमिका निभाने वाले अखिलेश यादव जी ने इस मुद्दे पर एक भी ट्वीट न करके संकेत दे दिया है कि उन्हें मुस्लिम समाज पर इस पुलिसिया दमन से कोई दिक़्क़त नहीं है।
उन्होंने पूछा कि अखिलेश यादव जी को स्पष्ट करना चाहिए कि वो इस घटना पर क्या इसलिए चुप हैं कि उन्हें मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा पर चुप्पी साधने की आदत है जैसा कि मुजफ्फरनगर के मुस्लिम विरोधी हिंसा के वक़्त उन्होंने किया था या फ़िर वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव जी के संसद में दिए गए बयान कि उनकी इच्छा है कि मोदी जी दुबारा प्रधानमंत्री बनें, की इच्छा को पूरा कर रहे हैं। या फ़िर उन्हें इस बात का डर है कि हर महीने योगी जी के सामने होने वाली सपरिवार हाज़िरी में उनसे योगी जी इससे नाराज़गी न ज़ाहिर कर दें।