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तुम मुझे मामूल बेहद आम लिखना

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hastakshep
24 Oct 2020
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सौंदर्यशास्त्र के पैमाने बदलने हैं हमें

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तुम मुझे मामूल

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बेहद आम लिखना

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जब भी लिखना

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फ़क़त गुमनाम लिखना

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यह शरारों की चमक

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यह लहजों की शहद

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रौशनी की शोहरतें

दियों की जद्दोजहद

मशहूरियत की ख़्वाहिश

बेवजह की नुमाइश

ये चमकते हुए दर

सजदों में पड़े सर

एय ऐब-ए-बेताबी

तू सुन ....

कामयाबी ...

धूप का तल्ख सफ़र है

पैरों तले की ज़मीन जलेगी

छांव नहीं देगी

तुझे परछाईंयां छलेंगीं

तू चल

किसी सम्त तो कोई बादल दिखेगा

साँझ का सूरज यकीनन चाँद लिखेगा

तू सोचता है कि

वो तुझसे बड़ा है

सच ये है वो भी किसी

परछाईं के साये में खड़ा है

डॉ. कविता अरोरा

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