ऐरु-गैरु-नत्थु-खैरु रेडियो मैकेनिक आज पत्रकारिता में जमे हुए हैं - टीवी के पर्दे पर छाए हुए हैं
उज्ज्वल भट्टाचार्य
32 सालों तक रेडियो पत्रकार के रूप में काम करता रहा. लेकिन कोई अगर अपना बिगड़ा रेडियो लाकर कहे कि इसे ठीक कर दो, तो कहना पड़ेगा कि मुझे यह नहीं आता.
लेकिन हर ऐरु-गैरु-नत्थु-खैरु सोचता है कि पत्रकारिता या रेडियो-पत्रकारिता में क्या रखा है ? सिर्फ़ लिख या बोल देना पड़ता है. यह मैं भी कर सकता हूं.
इससे भी ज़्यादा अफ़सोस की बात यह है कि ऐसे लोग आज पत्रकारिता में जमे हुए हैं - टीवी के पर्दे पर छाए हुए हैं.
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