निमेष रिपोर्ट पर अमल करवाने के लिये
रिहाई मंच का आमरण अनशन का दूसरा दिन
आमरण अनशन पर मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक व राजीव यादव
और 24 घंटे की भूख हड़ताल पर शाहआलम शेरवानी व असदुल्ला
आतंक की राजनीति के खिलाफ बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की 5 वीं बरसी पर 19 सितम्बर को होगा सम्मेलन

लखनऊ 17 सितंबर 2013, रिहार्इ्र मंच के धरने का 119 दिन, आमरण अनशन का दूसरा दिन। रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि सपा सरकार अगर मानसून सत्र में निमेष कमीशीन की रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट लाने के अपने वादे पर ईमानदार है तो उसे सत्र में बाकी बचे दो दिनों में ऐसा कर देना चाहिये। उसे इस भ्रम में नहीं रहना चाहिये कि सिर्फ रिपोर्ट को टेबल करके वह अवाम को गुमराह कर लेगी या दूसरे मुद्दों और सत्र की अवधि कम होने का बहाना बना कर दूसरे सत्र तक के लिये कार्रवायी रिपोर्ट को लटका सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिये कि वह निमेष आयोग द्वारा सुझाए गये बिन्दुओं पर अमल करते हुये दूसरे आतंकी मामलों में फँसाये गये मुस्लिम युवकों के मामलों पर भी कार्यवाही करे। मसलन ऐसे मामलों पर पूरी कानूनी प्रक्रिया को दो साल के भीतर पूरा करने और ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवायी करने की माँग पर सरकार तत्काल अमल करे ताकि बेगुनाह होते हुये भी जेलों में सड़ रहे मुस्लिम युवक आजाद हो सकें। ये बातें उन्होंने रिहाई मंच के अनिश्ति कालीन धरने के 119 वें दिन कहते हुये बताया कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करवाने के लिये रिहाई मंच ने कल 15 सितम्बर से ही आमरण अन्शन शुरू कर दिया है।

मोहम्मद शुऐब ने कहा निमेष कमीशन की रिपोर्ट साफ बताती है कि तारिक कासमी ने तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल, तत्कालीन डीजीपी बिक्रम सिंह और सीतापुर के तत्कालीन एसपी अमिताभ यश पर फँसाने के लिये षडयंत्र रचने का आरोप लगाया है। ऐसे गम्भीर आरोपों जिसकी तस्दीक कमीशन की रिपोर्ट करती है, के बावजूद इन पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी न होना सरकार की साम्प्रदायिक नीति का पर्दाफाश करती है तथा उन देश विरोधी आतंकवादी संगठनों के हौसले बुलन्द करती है जिनके राजनीतिक ऐजेण्डे को पूरा करने के लिये ऐसे अधिकारी निर्दोष मुसलमानों को फँसाने का काम करत हैं। उन्होंने माँग की कि सरकार तत्काल इन अपराधी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करे और रियायर हो चुके ब्रिकम सिंह की पेंशन पर रोक लगाये।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि सीबीआई द्वारा यह कहना कि खालिद मुजाहिद की हत्या की जाँच वह नहीं करेगी, से साफ हो जाता है कि खालिद के हत्या के मुख्य षडयंत्र कर्ता आईबी को बचाने के लिये सपा और कांग्रेस सरकार में एक आम सहमति बन गयी है कि प्रदेश सरकार के आधे अधूरे मन से सीबीआई जाँच की माँग के पूरा नहीं करना है और किसी भी कीमत पर आईबी की सांप्रदायिक भूमिका को उजागर नहीं होने देना है। आईबी को बचाने के लिये सपा और कांग्रेस के बीच ठीक उसी तरह की सांठ-गांठ हुयी है, जैसी इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के मास्टर माइंड और बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ के साजिशकर्ता राजेन्द्र कुमार को बचाने के लिये भाजपा और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है जिसके चलते इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट अभी तक नहीं लाई। जिसमें उसने राजेन्द्र कुमार समेत आईबी के दूसरे अधिकारियों को नामित करने की बात कही थी।

रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने बताया कि कल मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी की बेगुनाही का सबूत को जिस तरीके से वादा मुताबिक अखिलेश यादव ने कार्रवाई रिपोर्ट के साथ न रखकर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को बचाया और तारिक कासमी की रिहाई को बाधित किया, ऐसे में रिहाई मंच के निर्णय अनुसार हम आरडी निमेष कमीशन पर रिपोर्ट पर अमल करवाने के लिये आमरण अनशन पर हैं।

भारतीय एकता पार्टी के अध्यक्ष सैयद मोइद अहमद, अब्दुल हलीम सिद्दीकी, जैद अहमद फारुकी ने कहा कि जिस जोश और जज्बे से यह आंदोलन कल चार महीना पूरा कर रहा है और वादाखिलाफ सपा सरकार को इसकी माँगों पर आधे-अधूरे मन से ही सही पर माँगों को मानना पड़ रहा है ऐसे में निमेष कमीशन को अमल करवाने के लिये जिस तरह से प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग आमरण अनशन व भूख हड़ताल पर उस नौजवान खालिद मुजाहिद के लिये बैठै हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है। ऐसे में हमारी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है कि हम रिहाई मंच के आमरण अनशन में भारी तादाद में पहुँचे। 19 सितंबर को बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की पाँचवी बरसी पर हो रहे सम्मेलन को सफल बनाने का हर सम्भव प्रयास करें।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने बताया कि आमरण अनशन पर मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक व राजीव यादव हैं और 24 घंटे की भूख हड़ताल पर शाहआलम शेरवानी और असदुल्ला हैं।

भूख हड़ताल पर बैठै मुस्लिम मजलिस आजमगढ़ के नेता शाहआलम शेरवानी मुजफ्फर नगर दंगा पीड़ितों से मिलने गये प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के कुनबे ने दंगा निरोधी बिल लाने की बात कहकर मुसलमानों को गुमराह करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जिस कांगेस ने महाराष्ट्र के धुले और अकोला, राजस्थान में गोपलगाढ़, सांगानेर समेत सैकड़ों दंगे आसाम के कोकराझार में मुसलमानों के नरसंहार कराने वाली कांग्रेस को मुजफ्फर नगर दंगे पर आंसू बहाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

मो0 इसहाक नदवमी ने कहा कि रिहाई मंच ने अपने विधान सभा धरने के चार माह पूरे होने पर रिहाई मशाल मार्च से प्रदेश की अंधेर नगरी में दम तोड़ रहे लोकतंत्र को इस दोहरे चरित्र वाली सपा सरकार के चौपट राज का जहाँ असली चेहारा दिखा दिया है वहीं कौम के गद्दार रहनुमाओं और उन उलमाओं का चेहरा भी बेनकाब कर दिया है जो बराबर इस ताक में रहते हैं कि कौम पर कब कोई आफत आये और उनको मेमोरेंडम लेकर सरकार के दरबार तक पहुँचने का मौका मिल जाये और जनता के संघर्ष को दबा दिया जाये। तो अब लोकतंत्र को बचाने और इंसाफ का राज स्थापित करने के लिये अवाम की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह पार्टी वादी रहनुमाओं और मौका परस्त उलमाओं के पीछे आँख मूँद के चलने के बजाये सोच-समझकर अपने रहनुमाओं का इन्तिखाब करें।

आमरण अनशन का संचालन शाहनवाज ने किया। आमरण अनशन के समर्थन में डा0 एचलारी, कानपुर से आये वेलफेयर पार्टी के मोहम्मद इलियास, रहबर समी, मो0 अशफाक, मो0 नसीम, मो0 सरफराज, मो0 जावेद, श्रावस्ती से आये मो0 इकबाल, मो0 शमीम इत्यादि लोग थे।