विश्व अश्व दिवस (World Horse Day in Hindi): पहली बार 11 जुलाई को मनाया गया

  • घोड़ा: सदियों का वफ़ादार साथी और आत्मीय मित्र
  • घोड़े और इनसान का टूटता जुड़ाव
  • घोड़े का समाज में योगदान: आंकड़ों की नज़र से
  • यूएन महासभा ने प्रस्ताव 79/291 से की घोषणा
  • ‘स्पिरिट्स प्रॉमिस’ फ़ार्म में बचाए गए 19 घोड़ों का घर
  • घोड़े भावनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील और सामाजिक जीव
  • मानसिक उपचार और पुनर्वास में घोड़ों की प्रमुख भूमिका
  • दुनियाभर में 60 करोड़ से ज़्यादा लोगों की आजीविका उनसे जुड़ी
  • घोड़ों का शोषण: रेसिंग और व्यापारिक उपयोग पर बहस

"घोड़ा सिर्फ़ सवारी नहीं, आत्मा का साथी है" – स्ट्रियानो

11 जुलाई को मनाए गए पहले विश्व अश्व दिवस पर संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर में पढ़िए एक भावनात्मक कहानी — घोड़ों की वफ़ादारी, संवेदनशीलता और इंसानी जीवन से गहरे रिश्तों की दास्तान...

विश्व अश्व दिवस: इनसानों के पुराने साथी घोड़े की एक जज़्बाती दास्तान

चौड़ी चरागाहें, हरी घास के बड़े मैदान और पूरी तरह महिलाओं की देखरेख वाला एक आश्रय स्थल... न्यूयॉर्क सिटी के पास अटलांटिक महासागर से घिरे लाँग आइलैंड की यह ज़मीन, आज उन घोड़ों के लिए जीवन की नई शुरुआत की जगह बन चुकी है, जिन्हें कभी मार दिए जाने के लिए चिन्हित कर लिया गया था.

इस फ़ार्म को मारिसा स्ट्रियानो ने 2010 में अपने प्रिय घोड़े 'स्पिरिट्स प्रॉमिस' की याद में शुरू किया था और अब यह एक ऐसी जगह बन चुका है जहाँ सिर्फ़ घोड़े ही नहीं, बल्कि टूटे हुए इनसानी दिल भी राहत पाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसी वर्ष 3 जून को प्रस्ताव 79/291 पारित करके, 11 जुलाई को 'विश्व घोड़ा दिवस' घोषित किया. इस तरह शुक्रवार, 11 जुलाई को यह प्रथम दिवस मनाया जा रहा है.

सदस्य देशों ने इस दिवस की स्थापना के ज़रिए एक स्पष्ट सन्देश दिया है: जानवरों को भी संवेदनशीलता और सम्मान के साथ जीने का हक़ है.

यह पहल सिर्फ़ घोड़ों के लिए नहीं, बल्कि तमाम जीवों के अधिकारों और गरिमा को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है.

यूएन न्यूज़ टीम ने इस अवसर पर, ‘स्पिरिट्स प्रॉमिस’ फ़ार्म का दौरा किया.

घोड़ा, युगों का वफ़ादार साथी

घोड़े, प्राचीन युद्धभूमियों से लेकर आज के उपचारात्मक कार्यक्रमों तक, सदियों से इनसान के सबसे भरोसेमन्द साथियों में से एक रहे हैं. मगर आज की बेतहाशा प्रौद्योगिकी से घिरी इस दुनिया में, ऐसे बहुत कम लोग हैं जो इनसान और जानवर की इस अमूल्य साझेदारी की विरासत को याद रखते हैं.

मारिसा स्ट्रियानो कहती हैं, "घोड़ों ने हमें सिर्फ़ जीवित रहने में मदद नहीं की, उन्होंने हमारे साथ मिलकर अमेरिका को गढ़ा है. उन्होंने ज़मीन जोती, लोगों को अपनी पीठ पर बिठाकर सरपट दौड़ें लगाई हैं."

घोड़ों को कई संस्कृतियों में केवल उनकी शक्ति के लिए नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक अस्तित्व के लिए भी गहरी श्रद्धा से देखा जाता है.

मंगोलिया ने विश्व घोड़ा दिवस का प्रस्ताव, यूएन महासभा में पेश किया था, जहाँ घोड़े पवित्र माने जाते हैं और वे राष्ट्रीय पहचान के साथ बहुत घनिष्ठता के साथ जुड़े हुए हैं. वहाँ के बच्चे अक्सर चलना सीखने से पहले घुड़सवारी करना सीख जाते हैं.

लोकगीतों में घोड़ों की वफ़ादारी और शौर्य की भावपूर्ण प्रशंसा की जाती है, वे न सिर्फ़ एक सवारी, बल्कि आत्मा के साथी माने जाते हैं.

ओझल होती साझेदारी

कभी इनसान की प्रमुख सवारी रहे घोड़े, अब मशीनों के आगमन के साथ हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से लगभग ग़ायब हो गए हैं. आज वे ज़्यादातर खेल, पर्यटन, मनोवैज्ञानिक उपचार और मनोरंजन की दुनिया तक ही सिमटकर रह गए हैं.

मगर इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने इनसानी जीवन में अपनी अहमियत खो दी है.

स्ट्रियानो भावुकता के साथ कहती हैं, "घोड़ों ने अपना मूल्य नहीं खोया है, हमने बस उसे देखना बन्द कर दिया है."

ज़िन्दगी को दूसरा मौक़ा

अमेरिका में घोड़ों को मारना ग़ैरक़ानूनी है, इसलिए बीमार, बूढ़े या दौड़ से रिटायर हो चुके घोड़ों को अक्सर कनाडा या मैक्सिको के बूचड़ख़ानों में भेज दिया जाता है.

स्ट्रियानो कहती हैं, "ज़रा सोचिए, पन्द्रह साल तक कड़ी मेहनत करना, अपना सब कुछ न्यौछावर कर देना और फिर पूरी तरह नज़रअन्दाज़ करते हुए उन्हें बेसहारा छोड़ दिया जाना, केवल इसलिए कि उनकी उम्र हो गई होती है. हम ऐसे ही घोड़ों को अपनाते हैं. उन्हें और वक़्त देते हैं, एक नई शुरुआत, एक दूसरा मौक़ा."

यह फ़ार्म अब 19 बचाए गए घोड़ों का घर है. इनमें रिटायर हो चुके पुलिस घोड़े हैं, कभी प्रजनन के लिए इस्तेमाल किए गए घोड़े हैं, और यहाँ तक कि पुराने आमिश समुदाय के कामकाजी घोड़े भी शामिल हैं. हर एक के पास अपनी एक अलग कहानी है.

स्ट्रियानो मुस्कुराते हुए कहती हैं, "उनमें से एक है गस…अगर इनसानों की उम्र में गिनें तो वो 107 साल का है. वो पहले मनोवैज्ञानिक उपचार का घोड़ा था, लेकिन अन्त के दिनों में उसने बच्चों को गिराना शुरू कर दिया. अब वो रिटायर हो चुका है और अपनी अन्धी साथी, रमोना, से बेहद प्यार करता है. दोनों एक-दूसरे से कभी अलग नहीं होते. यही है घोड़े की आत्मा."

भावनात्मक तालमेल

घोड़े सिर्फ़ मददगार साथी ही नहीं होते, वे बेहद संवेदनशील, भावनात्मक और सामाजिक जीव होते हैं.

स्ट्रियानो बताती हैं कि लगभग 360 डिग्री की नज़र और माहौल को भाँपने की असाधारण क्षमता के साथ घोड़े, दूसरों की भावनाओं को सहजता से महसूस कर लेते हैं. यही गुण उन्हें उपचारात्मक माहौल में एक आदर्श साथी बनाते हैं, जहाँ वे शब्दों के बिना ही दिल की बात समझ लेते हैं.

‘स्पिरिट्स प्रॉमिस’ में घोड़े, शारीरिक या मानसिक चुनौतियों से जूझ रहे बच्चों के साथ, प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों के साथ, और डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) से प्रभावित उम्रदराज़ लोगों के साथ काम करते हैं.

एक घोड़ा, घबराए हुए किशोर को शान्ति दे सकता है, या उस व्यक्ति की ज़िन्दगी में ख़ुशियाँ लौटा सकता है, जिसके बारे में ये सोच लिया गया हो कि उसने महसूस करना ही छोड़ दिया है.

इन्हें अक्सर “भावनाओं का आईना” कहा जाता है. घोड़े किसी भी इनसान की असली अन्दरूनी भावनाओं को तुरन्त पहचान लेते हैं, भले ही वह व्यक्ति ख़ुद भी वैसा महसूस नहीं कर पा रहा हो.

स्ट्रियानो कहती हैं, "घोड़े 100 प्रतिशत भावनाओं से भरे हुए होते हैं. वे कभी झूठ नहीं बोलते, और दूसरों के झूठ को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाते."

उन्होंने कहा, "अगर आप कहें कि आप ठीक हैं, लेकिन अन्दर से टूट रहे हों, तो वे उसे महसूस कर लेंगे और दूर हो जाएँगे. लेकिन अगर आप ईमानदार हैं, चाहे आप दुखी हों या ग़ुस्से में, वे आपके साथ बने रहेंगे."

यह संवेदनशीलता उन्हें उन लोगों के लिए अदभुत साथी बनाती है जो ग़म, लत या आघात से गुजर रहे होते हैं.

स्ट्रियानो के ज़हन में एक क़िस्सा आज भी ताज़ा है, जब एक युवक नशे की लत से उबरने की राह पर चलते हुए फ़ार्म पहुँचा. वह हमेशा सतर्क और संकोच में दिख रहा था. उस समय, फ़ार्म पर एक घोड़ी थी, जिसका नाम था हार्टब्रेकर.

स्ट्रियानो आज भी उस पल को विस्मय के साथ याद करते हुए कहती हैं कि, भले ही वह अब हमारे बीच नहीं हैं, पर "वह सीधे उसके पास आई और बस... उसे अपनाया. घोड़ी ने उस युवक को ऐसे देखा, मानो कह रही हो, ‘मैं देख पा रही हूँ कि तुम टूट चुके हो. मैं भी… लेकिन यह अन्त नहीं है. तुम अब भी प्रेम व अपनेपन की उम्मीद कर सकते हो.’"

दोनों साथ में ही, चारागाह में दाख़िल हुए. हार्टब्रेकर ज़मीन पर लेट गई, और युवक अपना चेहरा उसके शरीर से लगाते हुए उसके पास बैठ गया. वो दोनों, आधे घंटे तक बस चुपचाप वहीं बैठे रहे.

स्ट्रियानो याद करती हैं, “वो पल पूरी तरह शान्ति से भरपूर था, बिना शब्दों का भरोसा, बिना शर्तों की मौजूदगी.”

तभी युवक की माँ वहाँ आईं. हार्टब्रेकर, जो पहले शान्त और कोमल थी, अचानक बेचैन हो गई, सूँघने लगी, सिर हिलाने लगी, और खु़द को आज़ाद करने की कोशिश करने लगी.

स्ट्रियानो बताती हैं, “वह ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे वह उसे उसकी माँ से बचाना चाहती हो. मैंने तुरन्त हार्टब्रेकर को वहाँ से ले जाकर शान्त किया. तभी उस युवक ने मुझसे धीरे से बोला, ‘वह अपने धर्म की आड़ लेती है, लेकिन उसने मुझे माफ़ नहीं किया है. वह कभी कहेगी नहीं, लेकिन घोड़े ने देख लिया.’”

स्ट्रियानो के लिए यह एक बार फिर उस सत्य की पुष्टि थी जिसे वह बार-बार अनुभव कर चुकी हैं: घोड़े बाहरी दिखावे पर नहीं, बल्कि सच्चाई पर प्रतिक्रिया करते हैं.

“वे मुखौटा नहीं देखते, वे आत्मा देखते हैं, और यही उनकी ताक़त है. वे हमें हमारी असली पहचान में देखते हैं, फिर भी हमारे साथ रहने का चुनाव करते हैं.”

देखभाल और शोषण…

घोड़ों के शोषण को लेकर लगातार बहस जारी हैं, चाहे वो घोड़ागाड़ी चलाने वाले घोड़े हों, व्यासायिक दौड़ के घोड़े या दिखावा उद्योग के घोड़े, सवाल यह है कि परम्परा और क्रूरता की सीमा कहाँ रुकती है?

स्ट्रियानो कहती हैं, “मुझे घोड़ों की दौड़ से नफ़रत है…शायद कभी इसका कोई उद्देश्य रहा था, लेकिन अब यह केवल धन की दौड़ बन गई है. घोड़ों के शरीरों में दवाइयाँ भरी जाती हैं, उन्हें बन्दी बनाया जाता है, उन्हें इस्तेमाल किया जाता है और फिर उन्हें मार दिया जाता है.”

स्ट्रियानो साथ ही स्वीकार करती हैं कि नैतिक सवाल हमेशा स्पष्ट नहीं होते. न्यूयॉर्क के सैंट्रल पार्क में पर्यटकों के लिए घोड़ागाड़ी खींचने वाले घोड़ों के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं, “मैं एक जीव की क़रबानी, दूसरों के लिए देने में विश्वास नहीं रखती. वे घोड़े पूरे परिवारों का गुज़ारा चलाते हैं. हमें सन्तुलन बनाना होगा. लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि घोड़े औज़ार नहीं, ज़िन्दगी से भरे और संवेदनशील जीव हैं.”

स्ट्रियानो और उनकी देखभाल में रहने वाले घोड़ों के लिए यह फ़ार्म एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रजातियों के बीच भरोसे की नई नींव रखी जाती है.

वह अपने काम को एक सौभाग्य मानती हैं, हर दिन एक मौक़ा, उन जीवों के साथ रहने का, जो चाहे जो भी दर्द या संघर्ष झेल चुके हों, फिर भी माफ़ करना और फिर से प्यार करना जानते हैं.

शुक्रिया अदा करने का दिन

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, दुनिया भर में इस समय लगभग 6 करोड़ 8 लाख घोड़े हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका में 63 हज़ार फ़ार्मों पर लगभग 24 लाख घोड़े और खच्चर पाले जाते हैं, वहीं योरोपीय संघ में क़रीब 70 लाख घोड़े हैं और अश्व प्रजनन, खेल एवं पर्यटन क्षेत्रों में 8 लाख से अधिक रोज़गार इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.

मंगोलिया में लगभग 30 लाख 40 हज़ार लाख घोड़े हैं, यानि लगभग हर व्यक्ति के लिए एक घोड़ा.

घोड़े, गधे और खच्चर, खेल और उद्योग से परे, ग्रामीण जीवन के लिए अनिवार्य हैं. FAO के शोध के अनुसार, लगभग 11 करोड़ 20 लाख कामकाजी अश्वचर, 60 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का सहारा हैं, ख़ासतौर पर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में.

ये पशु पानी, भोजन और अन्य आवश्यक सामानों के परिवहन में अहम भूमिका निभाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र, 11 जुलाई को प्रथम विश्व अश्व दिवस के अवसर पर, पूरी दुनिया को आमंत्रित करता है कि वे मानवता के इस वफ़ादार साथी को उनके परिश्रम, भरोसे और धैर्य के लिए “धन्यवाद” कहें.

स्ट्रियानो कहती हैं, “घोड़ा एक अनमोल तोहफ़ा है और इसे हम किसी भी क़ीमत पर नहीं खो सकते.”