मोहनलालगंज बलात्कार कांड पर साझा प्रदर्शन
मोहनलालगंज बलात्कार कांड पर साझा प्रदर्शन
प्रदेश सरकार को सात-सूत्री ज्ञापन सौंपा
लखनऊ, 21 जुलाई। मोहनलालगंज में बलात्कार और हत्या की बर्बर घटना पर लखनऊ और आसपास के तमाम संवेदनशील और इंसाफ़पसंद नागरिकों, स्त्रियों, छात्र-छात्राओं, नौजवानों, विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने आज जीपीओ पर प्रदर्शन किया तथा सरकार को ज्ञापन सौंपा।
स्त्री मुक्ति लीग व जागरूक नागरिक मंच की पहल पर हुए प्रदर्शन में शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, वर्किंग विमेन्स हॉस्टल, कार्यालयों, कालोनियों आदि से आई छात्राएं और महिलाएं भी शामिल हुईं।
इस मौके पर स्त्री मुक्ति लीग की ओर से कवयित्री कात्यायनी ने कहा कि सरकार और प्रशासन में बैठे लोग अंधे-बहरे ही नहीं अपराध पर परदा डालने में भागीदार बन चुके हैं। पुलिस की कहानी अविश्वसनीय और संदेह पैदा करने वाली है। जागरूक नागरिक मंच के सत्यम व स्त्री मुक्ति लीग की गीतिका ने कहा कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह मुहिम जारी रहेगी।
प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को सौंपे ज्ञापन में मोहनलालगंज कांड की सीबीआई जाँच कराने, प्रदेश में बलात्कार के सभी गंभीर मामलों के लिए फ़ास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने, जाँच एजेंसियों द्वारा जाँच में ढिलाई व पक्षपात पर सख्त कार्रवाई, यौन अपराधों के मामलों में पुलिस व अन्य ज़िम्मेदार कर्मचारियों द्वारा कर्तव्यपालन में लापरवाही पर कठोर कार्रवाई, न्यायमूर्ति वर्मा आयोग की सिफ़ारिशों को अविलम्ब लागू करने तथा महिलाओं व बच्चों के लिए सार्वजनिक परिवहन तथा अन्य संरचनागत सुविधाओं को अधिक सुरक्षित बनाने की मांग की गयी है।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि देश में लगातार बढ़ते स्त्री विरोधी घिनौने अपराधों से ज़ाहिर है कि 16 दिसंबर 2012 के बाद हुए आंदोलनों और देशव्यापी गुस्से की लहर के बावजूद ज़मीनी हालात में कोई अंतर नहीं आया है। जहां तमाम पार्टियों में बैठे नेता, आला अधिकारी और धर्मों के ठेकेदार बलात्कार के लिए स्त्रियों को ही दोषी ठहराते हों और पशुवत अपराधियों के बचाव में बेशर्मी से तर्क देते हों वहां महज़ कानून-व्यवस्था दुरुस्त होने की मांग करके सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होना अपनेआप को धोखा देना है। मौजूदा कानूनों को कठोरता से लागू कराने और सुरक्षा के बेहतर इंतज़ामों के लिए भी जनता को सड़कों पर उतरना होगा और साथ ही स्त्री-विरोधी सोच और मानसिक रुग्णता पैदा करने वाली पूंजीवादी संस्कृति तथा सामाजिक ढांचे के खिलाफ़ भी निरंतर संघर्ष करना होगा। स्त्रियों को अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए खुद लड़ना सीखना होगा।


