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जानिए भारतीय दंड संहिता की धारा-302, 304 (ए) व 304 बी के बारे में

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hastakshep
13 Feb 2021
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Know about Section 302, 304 (A) and 304B of Indian Penal Code

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भारतीय दंड संहिता की धारा-302 | Section 302 of Indian Penal Code in Hindi

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आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था।

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भारतीय दंड संहिता की धारा-304 | Section 304A of the Indian Penal Code in Hindi

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किन पर लगाई जाती है आईपीसी की धारा 304 (ए)

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आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।

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भारतीय दंड संहिता की धारा-304 बी | Section 304B of the Indian Penal Code in Hindi

दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा

आईपीसी में साल 1986 में एक नई धारा 304 बी को शामिल किया गया है। आईपीसी की यह नई धारा खासतौर पर दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के लिए बनाई गई है। अगर शादी के सात साल के अंदर किसी औरत की जलने,चोट लगने या दूसरी असामान्य वजहों से मौत हो जाती है और ये पाया जाता है कि दहेज की मांग की खातिर अपनी मौत से ठीक पहले वह औरत पति या दूसरे ससुराल वालों की तरफ से क्रूरता और उत्पीड़न का शिकार थी, तो आरोपियों पर धारा 304बी लगाई जाती है।

धारा 304बी में दोषियों को कम से कम 7 साल की कैद होती है। इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद है।

नोट - यह समाचार किसी भी हालत में कानूनी परामर्श नहीं है। यह सिर्फ जनहित में एक जानकारी मात्र है। कोई निर्णय लेने से पहले अपने विवेक का प्रयोग करें।)





स्रोत- देशबन्धु

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