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साहित्यिक कलरव

हम भी भाईचारे के घरों को बनाते रहे
वो हैं कि राहों में कांटे बिछाते रहे खुदा की कसम हम मुस्कुराते रहे। अंधेरे बहुत सारे बिखेरे थे मगर  हम भी लोगों को राहें दिखाते रहे।
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