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National Human Rights Commission took action on the death of Abdul Bashir in illegal police custody in Badaun, UP
डीएम और एसएसपी से किया जबाब तलब, मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट मांगी
विभिन्न बिंदुओं पर कार्यवाही कार्यवाही रिपोर्ट 6 हफ्ते में तलब की
लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने 01 जुलाई को सुनवाई कर आदेश पारित किया।
उत्तर प्रदेश में चल रहा जंगलराज - अजीत यादव
बदायूँ, 05 जुलाई,उत्तर प्रदेश के बदायूँ जनपद के भन्द्रा गांव में राजमिस्त्री अब्दुल बशीर की उसहैत पुलिस की अवैध हिरासत में उत्पीड़न से मौत के मामले पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कड़ा एक्शन लिया है। मामले पर डीएम और एसएसपी से जबाब तलब किया है और मजिस्ट्रियल जांच समेत कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है।
लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव की शिकायत पर अब्दुल बशीर की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले पर 01 जुलाई को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने सुनवाई कर उक्त आदेश पारित किया है। उन्होंने 14 मई को एनएचआरसी में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके आधार पर आयोग ने 15/05/2020 को मुकदमा दर्ज किया था जिसका नंबर 8466/20/7/2020-AD है।
आज जारी बयान में उक्त जानकारी देते हुए लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा कि अब्दुल बशीर की मौत नहीं, हत्या हुई है और उनकी हत्या के दोषी पुलिस कर्मियों व अधिकारियों को सजा दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि अब्दुल बशीर के मौत के मामले में पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए जनपद के आला अधिकारियों ने पुलिस हिरासत में मौत के विषय में दी गई माननीय मानवाधिकार आयोग की गाइड लाइन का उल्लंघन किया है। अभी तक मजिस्ट्रियल जांच भी नहीं करवाई गई है।
लोकमोर्चा संयोजक ने कहा कि संघ-भाजपा की योगी सरकार में पूरे सूबे में गोकशी को रोकने के नाम पर बेगुनाहों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न किया जा रहा है। पुलिस को अवैध धनउगाही का नया सेक्टर मिल गया है। निर्दोषों का अवैध पुलिस हिरासत में उत्पीड़न व फर्जी मुकदमें लगाकर जेल भेजना आम बात हो गई है।
श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज चल रहा है। सत्ता का संरक्षण मिलने से अपराधियों -माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे अब पुलिसकर्मियों को निशाना बना रहे हैं। जैसा कानपुर की घटना में दिखा। योगी सरकार आंदोलनकारियों निर्दोषों पर फर्जी मुकदमा लगाकर जेल भेजने और उनकी संपत्ति जब्त करने के असंवैधानिक कार्यों को कर रही है।
उन्होनें बताया कि शिकायत में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बदायूँ जनपद के भन्द्रा गांव में 9 मई की रात को उसहैत थाना पुलिस ने गोकशों की तलाश में छापा मारा और गांव के सात घरों में तोड़फोड़ की व अवैध वसूली की। उसके बाद पुलिस ने गांव के ही राजमिस्त्री अब्दुल बशीर के घर दबिश दी और उसके बेटे अतीक उर्फ नन्हें के बारे में पूछा। उसके रिश्तेदारी में जाने की बात कहने पर पुलिस ने घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी की और पचास हजार रुपयों की मांग की। विरोध करने पर घर के मुखिया 65 वर्षीय अब्दुल बशीर को पीटते हुए घर से खींचकर गैरकानूनी हिरासत में लेकर गांव के बाहर ले गई। पिटाई से अब्दुल बशीर की मौत हो जाने पर पुलिस मृतक को छोड़कर भाग गई। विरोध में गांव वालों ने मृतक अब्दुल बशीर की लाश को लेकर सड़क पर जाम लगा दिया। तब प्रशासनिक अधिकारियों ने न्याय दिलाने का आश्वासन देकर शव का पोस्टमार्टम करा दिया और डॉक्टरों पर दबाब डालकर फेफड़ों की बामारी से मौत की रिपोर्ट बनवा दी गई। मृतक अब्दुल बशीर के परिजनों की शिकायत पर एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
शिकायत में कहा गया है कि पूरे सूबे और बदायूँ जनपद में गोकशी के शक के बहाने अक्सर पुलिस बेगुनाहों का उत्पीड़न और दमन के साथ ही धनउगाही करती रहती है। कई को फर्जी मुकदमें लगाकर जेल भेज देती है। इनमें ज्यादातर मुसलमान और दलित पिछड़े समाज के गरीब - गुरबे होते हैं। भन्द्रा गांव की यह घटना योगी राज में पुलिस द्वारा बेगुनाहों पर जुल्म का एक नया उदाहरण है।
शिकायत में कहा गया है कि कानून का राज स्थापित करने व नागरिकों में व्याप्त भय और आतंक के माहौल को दूर करने के लिए इस मामले की निष्पक्ष जांच और एफआईआर दर्ज कर दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आयोग ने भन्द्रा गांव में गैर कानूनी पुलिस हिरासत में बेगुनाह अब्दुल बशीर की उसहैत पुलिस द्वारा की गई पिटाई से हुई मौत के मामले का संज्ञान लिया है। इससे मृतक अब्दुल बशीर को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है।
उन्होंने कहा कि लोकमोर्चा अब्दुल बशीर की हत्या के दोषियों को सजा दिलाने तक संघर्ष जारी रखेगा।