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कविता की कविताएं : चांद का जमीं से बावस्ता क्या है !

Poems of Kavita Arora: What is the relationship of the moon with the earth! जीवंतता यानी जिंदा होने के सबूत, करीने से निरंतर सक्रिय होने का प्रमाण। मुर्दे क्या ख़ाक लिखा _ जीया करते हैं ! कविता अरोरा की कविताएं जिंदा रहेंगी, बोलेंगी _ जमीं से चांद तक !

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hastakshep
11 Jul 2023
Dr Kavita Arora डॉ कविता अरोरा

चांद का जमीं से बावस्ता क्या है !

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कविता की कविताएं जिंदा रहेंगी, बोलेंगी _ जमीं से चांद तक !

लेखन साहित्य का एक खुला आकाश है। चाहे जो लिखो, रचो, रंगो, पुतो या सब रंग इकट्ठे ही उड़ेल दो। समय के कालचक्र में सब देखा जाएगा, पढ़ा जाएगा, उसकी तल्खियां बयां की जाएगी और उसको खारिज़ भी किया जाएगा। दरअसल,सृजन के ये तमाम ताने _ बाने ही लेखक के ऊपर दबाव बनाते हैं और उनसे बेहतर से बेहतर लिखवाने की बेमुरौवत _ बेइंतहा कोशिशें करते हैं। लब्ध प्रतिष्ठ समालोचक डॉ नामवर सिंह के समकाल डॉ सुरेंद्र चौधरी कहा करते थे कि लेखक को अब क्षितिज के पार देखने की जरूरत है।

यकीनन, डॉ कविता अरोरा साहित्य लेखन में एक ऐसा ही युवा नाम दिखता है। उनके मन का उड़ान उन्हें चांद तक ले जाता है, चांद के पार भी, चांद के शरगा तक और उमड़ते _ घुमड़ते, टिमटिमाते, अठखेलियां करते, अपनी मस्ती _ लय में आवारगी करते सितारों की चुहलबाजियों, पेंचो _ खम में जा अटकता है। वहां रहस्य है, रहस्य के अथाह चादर हैं और वह भी हमारी कल्पना, सोच से परे, नितांत जुदा _ जुदा। कविता अरोरा अपनी कविताओं से उनसे मुठभेड़ करती हैं, उनका राजफाश करती हैं और ज़िंदगी को वहां तक देखने की पुरजोर, सूक्ष्म कोशिशें करती हैं, जहां सब नहीं पहुंच पाते।

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जीवन एक लय है। सांस, सोच, विचार और उसकी अभिव्यक्ति भी लय का एक अटूट हिस्सा ! कविता सिर्फ़ कविताएं ही नहीं लिखतीं, गाती हैं, गुनगुनाती हैं, प्रकृति से करती हैं बेपनाह मुहब्बत! रोजाना होता है उनसे छम्म _ छमापम ! शायद यही वजहें हैं कि वे हरे _ हरे रहते हैं, फूल _ कलियों से लदे _ फदे, तरोताजा, लबालब ! उनके पास रोचक संस्मरण का संसार है, समंदर की लहरें गिनने और दुनिया _ जहान घूमने _ फिरने और उससे बावस्ता रखने का उनका अपना तजुर्बा, हुनर और तरीका है। शायद हम भूल चुके हों अपने बचपन को, गली _ चौबारों को, बदमाशियां, अल्हड़पन और दोस्त _ यारों को, कविता को सब याद है __ अरली गली से परली गली और कैंची मार साइकिलिंग, हवा में उड़ता जाए लाल दुपट्टा और छैल _ छबीलों की वे त्वरित _ टिप्पणियां।

जाहिर है, यह सब जीवन है। जीवन के सच हैं। जीवंतता है। जीवंतता यानी जिंदा होने के सबूत, करीने से निरंतर सक्रिय होने का प्रमाण। मुर्दे क्या ख़ाक लिखा _ जीया करते हैं ! कविता की कविताएं जिंदा रहेंगी, बोलेंगी _ जमीं से चांद तक !

 कृपाशंकर / नई दिल्ली

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