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आदिवासी

“मंदिर वहीं बनाएंगे” से अब “भारत तेरे टुकड़े होंगे” तक पहुंच चुका है आरएसएस, उसके निशाने पर अब हिंदू
धार्मिक घृणा फैलाकर गिरोह तैयार करना आरएसएस की पुरानी शगल रही है। माधव सदाशिव गोलवलकर ने सपना देखा कि भारत में संविधान के रूप में मनुस्मृति लागू की जाए।
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