Advertisment

गंगा

नदियों का वैतरणी बनना और लाशों के अधिकार का प्रश्न

नदियों का वैतरणी बनना और लाशों के अधिकार का प्रश्न

इन बहती देहों के बीच "पॉजिटिविटी अनलिमिटेड" का उत्सव और जश्न मनाना इन कुटुम्बियों के अंदर मानवता के पूरी तरह मर जाने का भी उदाहरण है। लाशें बिना बोले ही बोल रही हैं।
Advertisment
सदस्यता लें