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महाकवि
खामोश रहे राजसत्ता की निरंकुशता पर पूंजीपतियों और सरकार से पाकर पुरस्‍कार परम प्रसन्न होते रहे उन्होंने स्त्रियों से प्रेम, काल्पनिक विवरणों और फूल-पत्तियों पर ढेरों  लच्छेदार कविताएं लिखीं वे महाकवि कहलाए.
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