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समाज

हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद : क्या साहित्य समाज में अप्रासंगिक होता जा रहा है ?

हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद : क्या साहित्य समाज में अप्रासंगिक होता जा रहा है ?

‘क्या साहित्य समाज में अप्रासंगिक होता जा रहा है ?’, इस चिंता के साथ साहित्य संबंधी चर्चाओं को सुनते-सुनते लगता है जैसे हम सबके कान पक चुके हैं। पर साहित्य का जगत तो मूलतः एक आत्मिक जगत है।
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