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प्रगतिशील लेखक संघ
प्रगतिशील लेखक संघ (Progressive Writers' Association) भारत की स्वतंत्रता पूर्व सांस्कृतिक-वैचारिक क्रांति की एक ऐतिहासिक धारा रही है, जिसने साहित्य को जनपक्षधरता, समानता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की ज़मीन पर पुनर्परिभाषित किया। इसकी स्थापना 1936 में लखनऊ में हुई थी, जिसमें प्रेमचंद द्वारा उद्घाटन और सज्जाद ज़हीर, मुल्कराज आनंद, सैयद अली सरदार जाफ़री, कैफ़ी आज़मी, राहुल सांकृत्यायन, और अन्य क्रांतिकारी लेखकों ने भाग लिया।
हस्तक्षेप न्यूज़ पोर्टल के "प्रगतिशील लेखक संघ" टैग के अंतर्गत हम उन साहित्यिक, सामाजिक और वैचारिक आंदोलनों को केंद्र में रखते हैं, जिनका उद्देश्य सत्ता से सवाल करना और जनता की आवाज़ को सशक्त करना है। यह टैग विचार और लेखन के उस मोर्चे को उजागर करता है, जिसने साहित्य को एक सामाजिक हस्तक्षेप में बदल दिया।
इस टैग के अंतर्गत आप पाएँगे:
- प्रलेस के इतिहास और योगदान पर आलेख
- प्रमुख प्रगतिशील लेखकों की कृतियाँ और विचार
- समकालीन लेखकों का मूल्यांकन
- साहित्यिक आंदोलन और वैचारिक बहसें
- जनपक्षधर लेखन की वर्तमान चुनौतियाँ
फ़ासीवादी ताक़तें जिस पैमाने पर सक्रिय हैं, उसी पैमाने पर उनका जवाब देना होगा
अल्पसंख्यकों में काम करने वाली फिरके़वाराना और दकि़यानूसी ताक़तें भी अन्ततः हिन्दुत्ववादी फासिस्ट मुहिम की खुराक़ और इसके विनाशक दुष्टचक्र को चलाने का...


